श्याम बाबा श्याम बाबा
श्याम बाबा श्याम बाबा तेरे पास आया हु,
चरणों में तेरे अरदास लाया हु,
सचा है दरबार तुम्हारा संकट काटो हमारा,
जब जब भीड़ पड़ी भगतन पर दाता नंगे पाओ पधारा,
दुःख हरना मेरे दुःख हरना येही आस लाया हु,
चरणों में तेरे अरदास .........
दीन दयाल दया के सागर फिर क्यों खाली मेरी गागर,
बनती मेरी तुम सुन लेना श्याम मुरारी हे नटनागर,
भर देना झोली भर देना तेरा गुण गान गाया हु,
चरणों में तेरे अरदास .....
जब फागुन का महिना आये हम को भुलाना होगा,
मैं मारू गा भर पिचकारी तुम को रंग लगाना होगा,
खेलु गा होली खेलु गा रंग गुलाल लाया हु,
चरणों में तेरे अरदास .....
जब जब तेरी याद सताए श्याम सुंदर नैनो में पाए,
मत्री दत्त यही कामना सारा जग सुखी हो जाए,
कर देना बाबा कर देना तेरा गुण गान गया हु,
चरणों में तेरे अरदास .....
श्रेणी : खाटू श्याम भजन
यह भजन "श्याम बाबा श्याम बाबा तेरे पास आया हूँ" एक अत्यंत भावविभोर और भक्तिपूर्ण प्रस्तुति है, जो खाटू श्याम जी की महिमा का गुणगान करती है। इस भजन के माध्यम से एक भक्त अपनी पीड़ा, आस्था और प्रेम के साथ बाबा के चरणों में निवेदन करता है।
हर पंक्ति इस बात को दर्शाती है कि जब-जब भक्त पर संकट आया, श्याम बाबा स्वयं उसकी रक्षा के लिए आगे आए। “सच्चा है दरबार तुम्हारा, संकट काटो हमारा” जैसे शब्द भक्तों को यह विश्वास दिलाते हैं कि श्याम जी का दरबार न्याय और कृपा से भरा है।
भजन में श्याम जी को दीन-दुखियों का सहारा, दयालु और कृपालु प्रभु कहकर पुकारा गया है। एक जगह यह भी दर्शाया गया है कि भक्त की झोली खाली है, पर उसमें उम्मीद है कि बाबा कृपा की वर्षा करके उसे भर देंगे।
फागुन के मेले और होली जैसे पर्वों का ज़िक्र इस भजन को और भी रंगीन और जीवंत बनाता है, जहाँ भक्त बाबा के साथ होली खेलने की कल्पना करता है — “मैं मारूँगा भर पिचकारी, तुमको रंग लगाना होगा”। यह प्रसंग बाबा से एक आत्मीय संबंध को दर्शाता है।
भजन का समापन उस कामना के साथ होता है, जो हर भक्त के दिल में होती है — कि बाबा के गुणगान से न केवल उसका जीवन, बल्कि पूरा संसार सुखी हो जाए।
यह भजन न केवल एक गीत है, बल्कि एक ऐसी भक्ति यात्रा है, जिसमें श्रद्धा, समर्पण, पीड़ा और प्रेम की गहराइयाँ समाहित हैं। इसे पढ़ते या सुनते हुए ऐसा लगता है मानो खुद खाटू श्याम जी के दरबार में बैठे हों और उनसे अपने मन की बात कह रहे हों।