श्री श्याम शरण में आजा
श्याम बनाये श्याम मिटाये श्याम जलाये श्याम बुझाये,
श्याम शरण में टेक दे माथा श्याम मुकद्दर सोया जगाये,
सांरे की चौखट जो भी प्रेमी आएगा,
उसके सारे कष्टों को सांवरा मिटाएगा,
कांटे बिछे हो राहों में और मंज़िल ना हो कोई,
तूफ़ान ही तूफ़ान हो साहिल ना हो कोई,
हारा हो जब तू दुनिया से और साथी ना हो कोई,
मुश्किल घडी में यार तेरी शामिल ना हो कोई,
इसको बुलाना ज्योत जलाना श्याम धणी को आवाज़ लगाना,
मेरा सांवरा तुझको रास्ता दिखायेगा,
तेरे सारे कष्टों को सांवरा मिटाएगा,
सौ मुश्किलों ने दुनिया की मुझको घेरा है सांवरे,
अब डर नहीं है मुझको सहारा तेरा है सांवरे,
दुनिया ने लूटा अपनों से छूटा हूँ सांवरे,
तू थाम लेगा चउखट पे तेरी बैठा हूँ सांवरे,
बिगड़ी बना दे पार लगा दे,
शैलू का तू भाग्य जगा दे भोलू ये ही चरणों में हाज़री लगाएगा,
तेरे सारे कष्टों को सांवरा मिटाएगा,
तू भी आजा ओ प्रेमी तू भी आजा,
श्री श्याम शरण में,
आजा श्री श्याम शरण में आजा,
प्रेमी का बुलावा आते ही,
मेरा श्याम दौड़ कर आता है,
नेरा श्यामधणी हर जीवन मेरा खुशियों का उजाला लाता है,
जीवन ही बदल देता उसका जो हार के शरण में आता है,
इसलिए तो मेरा सांवरिया हारे का सहारा कहता है,
तू भी आजा ओ प्रेमी तू भी आजा,
श्री श्याम शरण में आजा,
श्री श्याम शरण में आजा ..........
श्रेणी : खाटु श्याम भजन
श्री श्याम शरण में आजा | Shri Shyam Sharan Mien Aaja | Baba Shyam Latest Bhajan | by Piyush Bhawsar
"श्री श्याम शरण में आजा" एक अत्यंत भावनात्मक और प्रेरणादायक खाटू श्याम भजन है, जिसे भजन गायक पियूष भौसार जी ने अपनी सच्ची भक्ति और भावना से प्रस्तुत किया है। यह भजन न केवल शब्दों में, बल्कि आत्मा में भी शरणागति का भाव जगाता है। इसमें भक्त की टूटती उम्मीदों को श्याम के चरणों में नया सहारा मिलता है, और जीवन की अंधेरी राहों में भी उजाला दिखने लगता है।
भजन की हर पंक्ति हमें यह विश्वास दिलाती है कि जब सारा संसार साथ छोड़ दे, जब अपने भी पराए हो जाएं, जब जीवन कठिनाईयों से घिर जाए — तब केवल खाटू के श्याम ही हैं जो अपने भक्त की पुकार सुनकर दौड़े चले आते हैं। "श्याम शरण में टेक दे माथा, श्याम मुकद्दर सोया जगाये" — यह पंक्ति सीधे हृदय में उतरती है और हमें बताती है कि सच्चा सहारा वही है जो हमें टूटने से पहले थाम ले।
भजन में जीवन की हर उस स्थिति का वर्णन है जहाँ इंसान हार मान जाता है, और ऐसे में श्याम ही उसका अंतिम आसरा बनते हैं। "बिगड़ी बना दे, पार लगा दे, शैलू का तू भाग्य जगा दे" जैसे शब्दों में सिर्फ भाव नहीं, बल्कि श्रद्धा और पूर्ण समर्पण की झलक भी मिलती है।
पियूष भौसार जी ने इस भजन को गाकर केवल एक गीत नहीं दिया, बल्कि एक ऐसी पुकार दी है जो हर उस भक्त के दिल से निकलती है जो हार कर श्याम के दर पर आता है। "जीवन ही बदल देता उसका, जो हार के शरण में आता है" — यह केवल एक पंक्ति नहीं, बल्कि श्याम भक्ति का सार है।