अब सौंप दिया इस जीवन का सब भार
अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में।
है जीत तुम्हारे हाथों में, और हार तुम्हारे हाथों में॥
मेरा निश्चय बस एक यही, एक बार तुम्हे पा जाऊं मैं।
अर्पण करदूँ दुनिया भर का सब प्यार तुम्हारे हाथों में॥
जो जग में रहूँ तो ऐसे रहूँ, ज्यों जल में कमल का फूल रहे।
मेरे सब गुण दोष समर्पित हों, करतार तुम्हारे हाथों में॥
यदि मानव का मुझे जनम मिले, तो तव चरणों का पुजारी बनू।
इस पूजक की एक एक रग का हो तार तुम्हारे हाथों में॥
जप जब संसार का कैदी बनू, निष्काम भाव से करम करूँ।
फिर अंत समय में प्राण तजूं, निरंकार तुम्हारे हाथों में॥
मुझ में तुझ में बस भेद यही, मैं नर हूँ तुम नारायण हो।
मैं हूँ संसार के हाथों में, संसार तुम्हारे हाथों में॥
श्रेणी : खाटू श्याम भजन
अब सौंप दिया इस जीवन का सब भार तुम्हारेAb Somp diya Is Jivan Ka by P.P.Sant Shri Ramesh Bhai Ojha Ji
यह भजन "अब सौंप दिया इस जीवन का सब भार" एक अत्यंत समर्पण और भक्ति का भावनात्मक गीत है, जिसे संत श्री रमेश भाई ओझा जी ने प्रस्तुत किया है। इस भजन में भक्त अपनी पूरी जिंदगी, सुख-दुःख, और कर्मों को भगवान श्याम के चरणों में समर्पित कर देते हैं।
भजन की शुरुआत में, भक्त अपने जीवन का सारा भार भगवान के हाथों में सौंपने की बात करता है। वह यह विश्वास करता है कि जीवन की हर जीत और हार भगवान के हाथों में है, और उनका मार्गदर्शन ही उसे सही दिशा दिखाएगा।
दूसरी पंक्ति में, भक्त भगवान श्याम से एक ही इच्छा व्यक्त करता है कि वह एक बार उन्हें पा सके और फिर पूरी दुनिया का प्यार, समर्पण और भक्ति भगवान को अर्पित कर दे।
आगे, भक्त इस भावना को और गहरा करता है कि वह जीवन में इस तरह से रहे जैसे जल में कमल का फूल रहता है, अर्थात वह भगवान के चरणों में पूर्ण समर्पण के साथ रहे।
भजन की अन्य पंक्तियों में भक्त अपने जीवन के हर पहलू को भगवान के चरणों में समर्पित करता है। चाहे वह जप हो, कर्म हो या प्राणों का त्याग हो, सब कुछ भगवान के हाथों में सौंपने की भावना व्यक्त की जाती है।
यह भजन जीवन के हर पहलू में भगवान की कृपा और मार्गदर्शन की आवश्यकता को महसूस कराता है, और भक्त भगवान श्याम के चरणों में निरंतर समर्पण का भाव रखते हुए जीवन के अंत तक उन्हें ही याद करने का संकल्प करता है।