हर हर शिव शम्भू जय जय केदारा
पद्मासन में ध्यान लगाए मौन है,
वीराने में तपता योगी कौन है,
मंद मंद मुस्कान लिए वह मौन है,
ध्यान मग्न बैठा, युगों से कौन है,
नाद न कोई तारा, डमरू कभी कभारा,
अधमुंदी आँखों से, सब देख रहा संसारा,
1) जो नाथों के नाथ कहाते, साधक बूटी बेल चढ़ाते,
जातक झूम झूम के गाते ओंकारा,
अर्ध चंद्र माथे पे साजे, वक्षस्थल कपाल बिराजे,
जटा चक्र से बहती निर्मल गंग धारा,
हर हर, शिव शम्भू, जय जय केदारा,
हर हर शिव शंभू जय जय कैलाशा ॥
2) निराकार साकार वही है, सृष्टि का आधार वही है,
गूंजे रोम-रोम में जिसका जयकारा,
रोग दु:ख सब दूर करे जो, साधक को भरपूर करे जो,
सब द्वारों का द्वार एक है, हरिद्वारा ॥
हर हर शिव शंभू,जय जय केदारा,
हर हर शिव शंभू जय जय कैलाशा,
3) हिमगिरी के सर्वोच्च शिखर पर, सागर, निर्झर से अम्बर तक,
बैठा सबको देख रहा सिरजनहारा
कालों का महाकाल वही है, भक्तों का रखपाल वही है,
तीनो लोक में जिसके नाम का विस्तारा ॥
हर हर, शिव शम्भू, जय जय केदारा,
हर हर शिव शंभू जय जय कैलाशा,
ॐ नमः शिवाय
गायक- हरे कृष्ण हरि
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श्रेणी : शिव भजन
भगवान शिव भोले शंकर का बहुत ही प्यारा भजन सुनिए Singer Hare krishna Hari
यह भजन भगवान शिव की अद्भुत महिमा और उनकी योग साधना का अनुपम वर्णन करता है। भजन की शुरुआत पद्मासन में ध्यानमग्न एक योगी के चित्रण से होती है, जो मौन तपस्या में लीन हैं। यह रहस्य उत्पन्न करता है कि यह महान योगी कौन है, जो अनादि काल से संसार को अपनी अधमुंदी आँखों से देख रहे हैं।
भजन में शिव को "नाथों के नाथ" कहकर संबोधित किया गया है, जिनकी भक्ति में साधक झूमते हैं और ओंकार के दिव्य नाम का गुणगान करते हैं। उनके मस्तक पर अर्धचंद्र का दिव्य आभूषण है, और उनकी जटाओं से पवित्र गंगा प्रवाहित हो रही है, जो संसार को पवित्रता और मोक्ष का मार्ग प्रदान करती है।
दूसरे पद में भगवान शिव को सृष्टि का आधार बताया गया है। वह निराकार भी हैं और साकार भी, उनके नाम का जयकारा संपूर्ण सृष्टि में गूंजता है। वे समस्त रोग, दुःख और कष्टों को हरने वाले हैं और समर्पित साधकों को अपनी कृपा से भरपूर करने वाले हैं। हरिद्वार को "सब द्वारों का एक द्वार" कहकर इस पवित्र नगरी की महिमा भी इस भजन में प्रकट होती है।
तीसरे पद में शिव के महाकाल स्वरूप की महिमा गाई गई है। वे हिमालय की चोटियों से लेकर सागर तक, अम्बर से निर्झर तक, संपूर्ण सृष्टि पर अपनी दृष्टि बनाए रखते हैं। वे ही कालों के महाकाल हैं, भक्तों के रक्षक हैं और तीनों लोकों में जिनके नाम का विस्तार है।
"हर हर शिव शंभू, जय जय केदारा", "हर हर शिव शंभू, जय जय कैलाशा" की गूंज इस भजन में शिव के पवित्र धाम केदारनाथ और कैलाश पर्वत की महिमा को दर्शाती है। यह भजन शिव भक्तों को उनकी कृपा से जोड़ने वाला और उनकी भक्ति में लीन करने वाला एक सुंदर स्तुति गीत है।
गायक हरे कृष्ण हरि ने इस भजन को मधुर स्वर में प्रस्तुत किया है, जिससे इसकी भक्ति भावना और गहराई और भी बढ़ जाती है। भगवान शिव के दिव्य गुणों का यह भजन उनके भक्तों को मोक्ष और शांति की ओर प्रेरित करता है।