उच्चेया पहाड़ा विच रैन वाली दातिए
ऊँचियों, पहाड़ों में, रहने वाली दातिए l
घर तू, गरीबों के भी आ,
माता रानीए, घर तू, गरीबों के भी आ l
ऊँचियों, पहाड़ों में, रहने वाली...
तेरे, दर्शन को, तरसती हैं आंखें l
आंखों की, प्यास बुझा,
माता रानीए, आंखों की, प्यास बुझा l
ऊँचियों, पहाड़ों में, रहने वाली...
छम छम, आंखों से, नीर बहता है l
पता भी ना, लगे मइयां, मेरी किस भूल का ll
भूल-चूक, माफ कर जा,
माता रानीए, भूल-चूक, माफ कर जा l
ऊँचियों, पहाड़ों में, रहने वाली...
भूल कौन सी, हुई मुझसे, समझ ना आए ll
भूल-चूक, माफ कर जा,
मइयां मेरीए, भूल-चूक, माफ कर जा l
ऊँचियों, पहाड़ों में, रहने वाली...
हाथ जोड़, अरज मैं, करूं शेरांवालीए ll
एक बार, घर फेरा लगा,
माता रानीए, एक बार, घर फेरा लगा l
ऊँचियों, पहाड़ों में, रहने वाली...
अपलोडर - अनिलरामूर्ती भोपाल
श्रेणी : दुर्गा भजन
नवरात्रि भजन🌷माता रानी का एक और पंजाबी भजन जरूर सुने #matarani #navratrispecial
यह भजन "ऊँचियों, पहाड़ों में, रहने वाली" माता रानी की महिमा और कृपा का खूबसूरती से वर्णन करता है। इस भजन में भक्त माँ दुर्गा से अपनी भक्ति और प्रार्थना करते हुए उन्हें आशीर्वाद देने की विनती करते हैं। "ऊँचियों, पहाड़ों में, रहने वाली" शब्दों के माध्यम से यह भजन माता रानी की उच्च और दिव्य स्थिति का प्रतीक है, जो संसार के हर कोने में बसी हुई हैं।
भजनकार माता रानी से निवेदन करता है कि वह अपने दर्शन से भक्तों की आंखों की प्यास को शांत करें और उनके जीवन से दुखों को दूर करें। वह अपनी भूलों के लिए माँ से माफी मांगते हैं और विनती करते हैं कि "भूल-चूक, माफ कर जा"। यह दर्शाता है कि भक्त माँ से सच्चे दिल से अपनी भूलों को स्वीकार कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं।
भजन में "एक बार, घर फेरा लगा" शब्दों से भक्त माँ से यह प्रार्थना करते हैं कि वह एक बार अपने आशीर्वाद से उनके घर आएं और उन्हें खुशियों से भर दें। यह भजन नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से गाया जाता है, जब भक्त माता रानी की कृपा प्राप्त करने के लिए अपनी भक्ति और समर्पण को व्यक्त करते हैं।
यह भजन भक्तों की श्रद्धा, समर्पण और आस्था का प्रतीक है, जिसमें माँ दुर्गा के प्रति उनकी पूरी निष्ठा दिखाई देती है।