कन्हैया ना छोड़ो मझधार, सांवरिया ना छोड़ो मझधार kanhaiya naa chhodo majhdhar

कन्हैया ना छोड़ो मझधार



कन्हैया ना छोड़ो मझधार,
साँवरिया ना छोड़ो मझधार,
पार लगा दो नय्या मेरी,
पार लगा दो नय्या मेरी,
ओ मेरे सरकार,

कन्हैया ना छोड़ो मझधार,
साँवरिया ना छोड़ो मझधार,

नौका मेरी बहुत पुरानी,
बह रहा हैं गहरा पानी,
नौका मेरी बहुत पुरानी,
बह रहा हैं गहरा पानी,
अब तो आओ मेरे कन्हैया,
अब तो आओ मेरे साँवरिया,
थाम लो पतवार,

कन्हैया ना छोड़ो मझधार,
साँवरिया ना छोड़ो मझधार,

मैं हूँ तेरा दास कन्हैया,
तुम हो मेरे सेठ साँवरिया,
मैं हूँ तेरा दास कन्हैया,
तुम हो मेरे सेठ साँवरिया,
मेरे दाता मेरे स्वामी,
मेरे दाता मेरे स्वामी,
कर दो बेड़ा पार,

कन्हैया ना छोड़ो मझधार,
साँवरिया ना छोड़ो मझधार,

तेरे बिना कोई नहीं हैं मेरा,
तू ही मेरा सेठ साँवरिया,
तेरे बिना कोई नहीं हैं मेरा,
तू ही मेरा सेठ साँवरिया,
मेरी मय्या मेरे बाबा,
मेरी मय्या मेरे बाबा,
तुम ही हो सरकार,

कन्हैया ना छोड़ो मझधार,
साँवरिया ना छोड़ो मझधार,

Lyr ics - Jay Prakash Verma, Indore



श्रेणी : कृष्ण भजन



कन्हैया ना छोड़ो मझधार ।। सांवरिया ना छोड़ो मझधार ।। #bankebihari #krishna #krishnabhajan #radhe

यह भावपूर्ण भजन "कन्हैया ना छोड़ो मझधार" एक सच्चे भक्त की करुण पुकार है, जो अपने आराध्य सेठ साँवरिया और कन्हैया से जीवन की कठिनाइयों में साथ देने की विनती करता है। इस रचना में गायक का भाव अत्यंत मार्मिक और आत्मसमर्पण से भरा हुआ है — वह अपने जीवन को एक पुरानी, डगमगाती नौका मानकर, उसे पार लगाने के लिए अपने प्रभु से पतवार थामने की प्रार्थना करता है।

भजनकार जय प्रकाश वर्मा (इंदौर) ने बड़ी सहजता और गहराई से यह दिखाया है कि जब जीवन रूपी नौका डगमगाने लगती है, और चारों ओर केवल गहरा पानी दिखाई देता है, तब मनुष्य केवल अपने ठाकुर को पुकारता है। इस गीत में वह पुकार स्पष्ट है — “अब तो आओ मेरे कन्हैया, अब तो आओ मेरे सांवरिया।” यह वाक्य किसी भी भक्त के हृदय को छू जाता है।

भजन में बार-बार दोहराया गया है कि वह स्वयं को दास मानता है और साँवरिया को अपना स्वामी, दाता और सरकार। वह उन्हें माँ, पिता और जीवन का एकमात्र सहारा मानता है। यह भजन न केवल भावुक करता है, बल्कि आत्मा को गहराई से छू जाता है।

यह एक ऐसा भजन है जो हर उस व्यक्ति की भावनाओं को अभिव्यक्त करता है जो अपने जीवन में प्रभु का सहारा चाहता है। “कन्हैया ना छोड़ो मझधार” एक ऐसी पुकार है, जो विश्वास, प्रेम और समर्पण का प्रतीक बन चुकी है।

Harshit Jain

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