नटखट-नटखट नन्दकिशोर
नटखट-नटखट नन्दकिशोर,
माखन खा गयो माखन-चोर।
पकड़ो पकड़ो दोड़ो दोड़ो कान्हा भागा जाये,
कभी कुंज में कभी कदम पे हाथ नहीं ये आये।।
गोकुल की गलियों में मच गया शोर,
माखन खा गयो माखन-चोर,
नटखट-नटखट नन्दकिशोर,
माखन खा गयो माखन-चोर ॥
संग में सखांओ की टोली बड़ी,
माखन चुराने की आदत पड़ी,
ऊँची मटकिया में माखन दरों,
आँगन में माखन बिखरो पड़ो,
हाथ नहीं आए झपट के खाय,
गटक-गटक माखन गटकाय,
अरी यही रोज का इसका दौर,
माखन खा गयो माखन-चोर ॥
नटखट-नटखट नन्दकिशोर,
माखन खा गयो माखन-चोर।
गोकुल की गलियों में मच गया शोर,
माखन खा गयो माखन-चोर.....
मुख दगी लागे कन्हैया भागे,
पीछे-पीछे गोपी कन्हैया आगे,
कहाँ भागो जाय माखन चुराय,
देऊँगी उलाहिनों तेरे घर जाय,
पकड़ो ग्वालिन कन्हैया को हाथ,
लाई नन्द-द्वारे कन्हैया को साथ,
आयो तेरो लाला मेरी मटुकी फोड़,
माखन खा गयो माखन-चोर ॥
नटखट-नटखट नन्दकिशोर,
माखन खा गयो माखन-चोर।
गोकुल की गलियों में मच गया शोर,
माखन खा गयो माखन-चोर....
क्यों रे कन्हैया क्यों घर-घर जाय,
नित-नित काहे उलाहिनों लाय,
घर की गइयन को माखन ना भाय,
घर-घर जाय काहे माखन चुराय,
माता यशोदा से नैना चुराय,
मन-ही-मन कान्हा मुसकाय,
ओखल से बाँधो खुल गई डोर,
माखन खा गयो माखन-चोर ॥
नटखट-नटखट नन्दकिशोर,
माखन खा गयो माखन-चोर।
गोकुल की गलियों में मच गया शोर,
माखन खा गयो माखन-चोर.....
कान्हा की आँखों में अखियन भरे,
कैसे यशोदा माँ धीरज धरे,
माखन-मिसरी को भोग लगाय,
रूठे कन्हैया को लीनों मनाय,
लीलाधारी की लीला अपार,
बोलो कन्हैया की जय-जयकार,
माखन को नयिओ, ये तो है चित-चोर,
मन हर लीनों नंदकिशोर,
नटखट-नटखट नन्दकिशोर,
माखन खा गयो माखन-चोर।
गोकुल की गलियों में मच गया शोर,
माखन खा गयो माखन-चोर ॥
नटखट-नटखट नन्दकिशोर,
माखन खा गयो माखन-चोर।
पकड़ो पकड़ो दोड़ो दोड़ो कान्हा भागा जाये,
कभी कुंज में कभी कदम पे हाथ नहीं ये आये।।
गोकुल की गलियों में मच गया शोर,
माखन खा गयो माखन-चोर.......
श्रेणी : कृष्ण भजन