लागी लगन शंकराा
भोले बाबा, तेरी क्या ही बात है
भोले शंकरा, तेरी क्या ही बात है
दूर हो के भी तू साथ है, ओ
दूर हो के भी तू साथ है
खुद को मैं कर दूँगा तुझको समर्पण
मैं तेरा आँसू हूँ तू मेरा दर्पण
तेरे ही होने से मेरी ये सारी ज़िंदगी सजी है
लागी मेरी तेरे संग लगी, ओ, मेरे शंकरा
लागी मेरी तेरे संग लगी, ओ, मेरे शंकरा
लागी मेरी प्रीत तेरे संग मेरे शंकरा
लागी मेरी प्रीत तेरे संग मेरे शंकरा
तू पिता है मेरा और तू ही रहेगा
मेरी हर गलती को तू हँस कर सहेगा
तेरे जाप से मनका उड़ गया है रे पंछी
सब तेरी बदौलत है आज रघुवंशी
तू सक्षम है और तू ही विशाल है
तू उत्तर है और तू ही सवाल है
तू ही सत्या बाकी ज़िंदगी भी ना सगी है
लागी मेरी तेरे संग लगी, ओ, मेरे शंकरा
लागी मेरी तेरे संग लगी, ओ, मेरे शंकरा
लागी मेरी प्रीत तेरे संग मेरे शंकरा
लागी मेरी प्रीत तेरे संग मेरे शंकरा
(न यावत् उमानाथ पादाराविन्दम्
भजंतीह लोके परे वा नराणाम्
न तावत् सुखम् शांति सन्ताप नाशम्
प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम्)
ध्यान में है मगन
तन पे ओढ़ के रे चोली
मुझे अपने रंग में रंग दे
संग खेल मेरे होली
ना आसन है नीचे ना है कोई खटोली
मुझे अपने रंग में रंग दे
संग खेल मेरे होली
बस भी करो अब मेरे शंकरा
भाँग रगड़ के बोली ये गौरा
तुम नहीं रजे हो गोरा लौट के रजी है
लागी मेरी तेरे संग लगी, ओ, मेरे शंकरा
लागी मेरी तेरे संग लगी, ओ, मेरे शंकरा
लागी मेरी प्रीत तेरे संग मेरे शंकरा
लागी मेरी प्रीत तेरे संग मेरे शंकरा
लागी मेरी तेरे संग लगी, ओ, मेरे शंकरा
लागी मेरी तेरे संग लगी, ओ, मेरे शंकरा
लागी मेरी तेरे संग लगी, ओ, मेरे शंकरा
लागी मेरी तेरे संग लगी, ओ, मेरे शंकरा
लागी मेरी तेरे संग लगी, ओ, मेरे शंकरा
लागी मेरी तेरे संग लगी, ओ, मेरे शंकरा
लागी मेरी तेरे संग लगी, ओ, मेरे शंकरा
लागी मेरी तेरे संग लगी, ओ, मेरे शंकरा
श्रेणी : शिव भजन
Laagi Lagan Shankara | Hansraj Raghuwanshi | Komal Saklani | Holi Special 2021 | Ricky | Jamie |
"लागी लगन शंकरा" एक अत्यंत भावनात्मक और भक्तिपूर्ण शिव भजन है, जिसे प्रसिद्ध भजन गायक हंसराज रघुवंशी और कोमल सकलानी द्वारा गाया गया है। यह भजन शिवभक्त की गहराई से भरी श्रद्धा, प्रेम और समर्पण को बहुत सुंदर ढंग से प्रस्तुत करता है।
इस भजन में भोलेनाथ के प्रति अनन्य प्रेम को व्यक्त किया गया है, जहां भक्त कहता है कि “दूर होके भी तू साथ है”, जो इस बात को दर्शाता है कि भगवान शिव हर समय अपने भक्तों के साथ होते हैं, भले ही वे दृश्य रूप में सामने न हों। यह भजन एक आत्मिक संवाद जैसा प्रतीत होता है, जिसमें भक्त खुद को शिव को समर्पित कर देता है – “खुद को मैं कर दूं तुझको समर्पण, मैं तेरा आंसू हूं तू मेरा दर्पण” जैसी पंक्तियां आत्मा और परमात्मा के गहरे संबंध को दर्शाती हैं।
भजन के आगे के अंशों में यह दिखाया गया है कि शिव सिर्फ ईश्वर नहीं, बल्कि एक पिता, एक साथी, और एक सहारा हैं जो अपने भक्त की हर गलती को भी मुस्कराकर सह लेते हैं। भजन में शास्त्रीय संस्कृत श्लोक “न यावत् उमानाथ पादारविन्दम्…” का समावेश इसे और भी आध्यात्मिक और गूढ़ बना देता है।
इस भजन का होली वाला भाग शिव-पार्वती के रसमय और प्रेमपूर्ण रूप को उजागर करता है, जहां पार्वती (गौरा) शिव को रंगों में रंगने की बात करती हैं। यह भाग भक्त और ईश्वर के बीच के प्रेम को एक उत्सव में परिवर्तित करता है – जो प्रेम, समर्पण और उल्लास से परिपूर्ण है।
‘लागी लगन शंकरा’ केवल एक भजन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा है, जो भक्त को शिव से जोड़ती है – एक ऐसा बंधन जो न कभी टूटता है और न ही कम होता है। इसकी भावनाएं, इसकी धुन और इसके शब्द हर उस व्यक्ति को छू जाते हैं जो शिव से प्रेम करता है।