परमेश्वर प्रथमेशा गजानन जगदीशा
परमेश्वर प्रथमेशा,
गजानन जगदीशा,
नमितो तुज आदी देवा,
हृदयांच्या हे नरेशा,
एकदंत लंबोदर,
कटीस शुभ पितांबर,
अति पावन, अति सुंदर,
तव स्वरूप हे गणेशा,
विघ्नेश्वर तू विधाता,
अनुरागी तू अनंता,
करुणाकर तू कृपाळा,
वरदरूप विद्याधीशा,
श्रेणी : गणेश भजन
परमेश्वर प्रथमेशा .... ( गायक : सुरेश वाडकर, गीत-संगीत : अरुण सराफ )
"परमेश्वर प्रथमेशा गजानन जगदीशा" एक सुंदर गणेश भजन है जो भगवान गणेश की महिमा और उनकी दिव्यता का वर्णन करता है। इस भजन में भगवान गणेश के दिव्य रूप, गुण, और शक्तियों का गुणगान किया गया है।
भजन के पहले बोल में गणेश जी को परमेश्वर, गजानन और जगदीश कहा गया है, जो उनके सर्वोच्च देवता और संसार के पालनहार रूप को प्रकट करता है। उनके आशीर्वाद से संसार में सुख और समृद्धि का संचार होता है।
भजन में भगवान गणेश के रूप का वर्णन किया गया है — वह एकदंत (एक दांत वाले), लंबोदर (बड़ा पेट वाला), और पितांबर (पीले वस्त्र पहने) हैं। उनका रूप अत्यंत पावन और सुंदर है, जो भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
इसके अलावा, गणपति जी को "विघ्नेश्वर" और "विधाता" कहा गया है, जो हर प्रकार के विघ्न और कष्टों को दूर करने वाले और जीवन को रचनात्मक रूप से आकार देने वाले हैं। भजन में उनकी करुणा और कृपा का भी वर्णन किया गया है, और उन्हें विद्याधीश और वरदाता के रूप में पूजा जाता है।
यह भजन भक्तों को भगवान गणेश के साथ गहरे संबंध और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सुसमृद्ध बनाने की प्रेरणा देता है। सुरेश वाडकर की आवाज़ में यह भजन और भी दिल को छूने वाला बन जाता है, और अरुण सराफ द्वारा रचित संगीत इस भजन की भक्ति भावना को और अधिक प्रगाढ़ करता है।