रींगस के उस मोड़ पे लिरिक्स Ringus Ke Mod Pe Lyrics [ Kanhaiya Mittal Bhajan ]

रींगस के उस मोड़ पे



आ गया मैं दुनियादारी,
सारी बाबा छोड़ के,
लेके आजा खाटू वाले,
रींगस के उस मोड़ पे,
लेने आजा खाटू वाले,
रींगस के उस मोड़ पे....

हार गया मैं इस दुनिया से,
अब तो मुझको थाम ले,
कहा मुझे किसी श्याम भगत ने,
बाबा का तू नाम ले,
अपने पराये छोड़ गए सब,
दिल मेरा ये तोड़ के,
लेने आजा खाटू वाले,
रींगस के उस मोड़ पे....

तीन बाण के कलाधारी,
कला मुझे भी दिखा दे तू,
जैसे दर्शन सबको देता,
वैसे मुझे करा दे तू,
अब मैं खड़ा हूँ द्वार तुम्हारे,
दोनों हाथ जोड़ के,
लेने आजा खाटू वाले,
रींगस के उस मोड़ पे.....

मैं ना जानू पूजा अर्चन,
तुझको अपना मान लिया,
तू ही दौलत तू ही शोहरत,
इतना बाबा जान लिया,
अपना बना ले इस मित्तल को,
दिल को दिल से जोड़ के,
लेने आजा खाटू वाले,
रींगस के उस मोड़ पे.....

मुझको है विश्वास मुझे तू,
इक दिन बाबा तारेगा,
तुझ पे भरोसा करने वाला,
जग में कभी ना हारेगा,
जिनपे किया भरोसा मैंने,
छोड़ गए वो रोड़ पे,
लेने आजा खाटू वाले,
रींगस के उस मोड़ पे....

आ गया मैं दुनियादारी,
सारी बाबा छोड़ के,
लेके आजा खाटू वाले,
रींगस के उस मोड़ पे,
लेने आजा खाटू वाले,
रींगस के उस मोड़ पे.....




श्रेणी : खाटु श्याम भजन



आ गया मैं दुनियादारी सारी बाबा छोड़ के - Khatu Shyam Bhajan - Kanhiya Mittal

"आ गया मैं दुनियादारी सारी बाबा छोड़ के" खाटू श्याम का एक बहुत ही प्रसिद्ध भजन है, जिसे कान्हिया मित्तल ने गाया है। इस भजन में भक्त ने अपनी सारी दुनिया की दौलत, शोहरत और रिश्तों को त्याग कर, बाबा खाटू श्याम के चरणों में अपनी शरण ली है।

भजन के हर शेर में भक्ति, विश्वास, और समर्पण की भावना छुपी हुई है। पहले शेर में भक्ता ने संसार की सारी चिंताओं को छोड़कर खाटू श्याम के दर पर जाने की बात की है। "रींगस के उस मोड़ पे" का जिक्र इस भजन में बार-बार आता है, जो खाटू श्याम के स्थान और उनके दर्शन की महिमा को दर्शाता है। यह भाव भक्त की अडिग श्रद्धा को उजागर करता है, कि वह अब संसार के मोह माया से मुक्त होकर, बाबा के दरबार में आकर अपनी शांति और आशीर्वाद प्राप्त करना चाहता है।

दूसरे शेर में वह अपनी तकलीफों का जिक्र करते हैं और कहते हैं कि जब दुनिया ने उन्हें अकेला छोड़ दिया, तब उन्होंने खाटू श्याम के नाम का सहारा लिया और विश्वास किया। वह बाबा से अपने जीवन की कष्टों से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं और कहते हैं कि उनका दिल टूट चुका है, अब केवल बाबा की शरण में ही शांति मिल सकती है।

तीसरे शेर में वह बाबा के "तीन बाण के कलाधारी" रूप का उल्लेख करते हैं, जिनसे वह अपनी आंतरिक कला और शक्ति का दर्शन चाहते हैं। साथ ही वह बाबा से आग्रह करते हैं कि जैसे वह सबको दर्शन देते हैं, वैसे ही उन्हें भी अपने दर्शन से नवाजें।

भजन में आगे वह कहते हैं कि उन्होंने पूजा और अर्चना की विधियों को नहीं समझा, लेकिन उन्होंने बाबा को अपनी आत्मा का मालिक मान लिया है। वह यह भी कहते हैं कि बाबा ही उनकी दौलत, शोहरत, और जीवन का उद्देश्य हैं।

अंतिम शेर में वह बाबा से अपनी पूर्ण श्रद्धा और विश्वास का इज़हार करते हैं। वह कहते हैं कि वह बाबा पर पूरा विश्वास रखते हैं कि एक दिन वह उन्हें रास्ता दिखाएंगे और उनका जीवन संवार देंगे।

Harshit Jain

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