जगदंबा के दीवानों को दर्शन चाहिए
जगदंबा के दीवानों को दर्शन चाहिए,
हमें मां तेरी एक झलक चाहिए, झलक चाहिए,
दया और ममता की मूरत है तू, हां मूरत है तू,
तुझे क्या पता कितनी सुंदर है तू, कितनी सुंदर है तू,
दुआओं के जैसा है मन मां तेरा,
हमें मां तेरे जैसा मन चाहिए, हां मन चाहिए,
जगदंबा के दीवानों को.....
तेरा रूप सबसे सुहाना लगे सुहाना लगे,
बिना भक्ति के जी कहीं ना लगे कहीं ना लगे,
मां भक्ति में तेरे हम डूबे रहें,
हमें मां तुमसे ऐसा बर चाहिए हां वर चाहिए,
जगदंबा के दीवानों को....
कई देत्त तुमने पछाड़े हैं मां पछाड़े हैं मां,
तेरा शेर रण में दहाड़े है मां दहाड़े है मां,
तू काली नवदुर्गा टू ज्वाला है मां,
हमें मार तेरी ही शरण चाहिए शरण चाहिए,
जगदंबा के दीवानों को....
तू पर्वत तू नदिया तू धरती है मां तू धरती है मां,
तू पाताल अंबर सितारों में मां सितारों में मां,
तेरी इन भुजाओं में शक्ति है मां,
हमें इन भुजाओं का बल चाहिए,
जगदंबा के दीवानों को....
श्रेणी : दुर्गा भजन

"जगदंबा के दीवानों को दर्शन चाहिए" एक अत्यंत भावनात्मक और भक्ति से परिपूर्ण दुर्गा भजन है, जो मां दुर्गा की महिमा, उनकी शक्ति, सौंदर्य और भक्तों की अटल श्रद्धा को बड़े ही सुंदर और सजीव शब्दों में दर्शाता है। यह भजन केवल एक गीत नहीं, बल्कि एक भक्त की पुकार है जो मां के दर्शन की आस में तड़प रहा है और अपनी आत्मा से उन्हें पुकार रहा है।
भजन की शुरुआत में भक्त की तीव्र भावना झलकती है — हमें मां तेरी एक झलक चाहिए, जो दर्शाता है कि सच्चे भक्त के लिए मां की एक झलक भी जीवन को धन्य कर सकती है। मां को दया और ममता की मूरत कहकर यह बताया गया है कि उनका सौंदर्य केवल बाह्य रूप में नहीं, बल्कि उनके करुणामयी हृदय में भी बसता है।
इस भजन में मां की भक्ति को जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता बताया गया है — बिना भक्ति के जी कहीं ना लगे, यह पंक्ति हर उस भक्त की भावना को छूती है जिसके जीवन का उद्देश्य मां की भक्ति में लीन रहना है। साथ ही मां से यह वरदान भी मांगा गया है कि भक्त सदैव उनकी भक्ति में डूबा रहे।
भजन में मां दुर्गा के वीर स्वरूप का भी उल्लेख है, जहां बताया गया है कि मां ने असुरों का संहार किया और रणभूमि में सिंह पर सवार होकर दहाड़ीं। मां के विविध रूप — काली, नवदुर्गा, ज्वाला — उनकी शक्ति और रौद्र स्वरूप को उजागर करते हैं और भक्त यह निवेदन करता है कि उसे भी मां की शरण प्राप्त हो।
अंत में यह भजन मां को प्रकृति का समग्र स्वरूप मानता है — पर्वत, नदियां, धरती, आकाश और तारे सभी मां के रूप हैं। उनकी भुजाओं में जो शक्ति है, वही शक्ति भक्त भी चाहता है, ताकि वह जीवन के संघर्षों का सामना कर सके।
इस भजन के माध्यम से मां दुर्गा की शक्ति, सौंदर्य, करुणा और विशालता का एक दिव्य चित्र खींचा गया है। यह भजन हर उस भक्त के हृदय को स्पर्श करता है जो नवरात्रि या किसी भी समय मां की सच्चे मन से भक्ति करता है। इसकी रचना न केवल संगीतात्मक है, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा से भी भरपूर है, जो श्रद्धालुओं को मां की भक्ति में डूबने के लिए प्रेरित करती है।