मेरे मुरली वाले की हर बात निराली है
मेरे मुरली वाले की हर बात निराली है,
कानो में कुंडल है मुखड़े पे लाली है।।
सरकार मेरी तुमसे दिल जबसे लगाया है,
तेरे तिरछे नैनो ने मेरा चैन चुराया है,
प्यारी सूरत उनकी जा लेने वाली है,
कानो में कुंडल है मुखड़े पे लाली है।।
ना जाने क्या उसने जादू कर डाला है,
जहाँ देखूं दिखता वो मेरा मुरलीवाला है,
मेरे जीवन में अब हर दिन ही दिवाली है,
कानो में कुंडल है मुखड़े पे लाली है।।
हर दिल में वो बसता जिससे मैं प्यार करूँ,
‘राजन’ सांवरिया का कैसे ऐतबार करूँ,
‘माहि’ देखा जाएगा जो प्रीत लगा ली है,
कानो में कुंडल है मुखड़े पे लाली है।।
मेरे मुरली वाले की हर बात निराली है,
कानो में कुंडल है मुखड़े पे लाली है।।
श्रेणी : राम भजन
इस सुंदर और भावपूर्ण भजन "मेरे मुरली वाले की हर बात निराली है" में रचनाकार ने अपने आराध्य श्रीकृष्ण की अनुपम लीलाओं, मोहक सौंदर्य और उनके प्रति अटूट प्रेम को बड़े ही हृदयस्पर्शी शब्दों में पिरोया है। यह भजन एक भक्त के मन में उठती उस अनन्य भक्ति भावना को दर्शाता है, जब वह अपने कान्हा के स्वरूप में खो जाता है।
भजन की प्रत्येक पंक्ति में श्रीकृष्ण के सौंदर्य – उनके कानों में झूलते कुंडल, मुखड़े की लालिमा, तिरछे नैनों की चंचलता – का अत्यंत मधुर और आकर्षक वर्णन किया गया है। यह सिर्फ एक स्तुति नहीं, बल्कि रचनाकार का आत्मिक समर्पण और श्रीकृष्ण के प्रति उनकी भावनात्मक एकता का प्रतीक है।
भजन यह भी दर्शाता है कि श्रीकृष्ण का प्रेम जब हृदय को छू लेता है, तो जीवन की हर घड़ी दिवाली बन जाती है, हर क्षण उत्सव बन जाता है। इसमें यह भी व्यक्त किया गया है कि जब प्रेम सच्चा हो, तो फिर दुनिया के डर और संदेह छोटे पड़ जाते हैं।
यह भजन, ‘राजन’ और ‘माहि’ जैसे शब्दों से स्पष्ट करता है कि इसे किसी समर्पित रचनाकार ने लिखा है, जिन्होंने अपने अनुभवों और भावना को श्रीकृष्ण की भक्ति में पिरोया है।
हालाँकि, यह भजन "राम भजन" श्रेणी में डाला गया है, लेकिन इसकी विषयवस्तु और भावधारा स्पष्ट रूप से श्रीकृष्ण की महिमा और प्रेम की ओर संकेत करती है। अतः इसे कृष्ण भजन या मुरलीवाले भजन की श्रेणी में रखना अधिक उपयुक्त होगा।