निगाहें फेर क्यों बैठे मेरा तो और ना कोई
निगाहें फेर क्यों बैठे,मेरा तो और ना कोई,
तुम्हारे लाखों दीवाने,मेरा तो और ना कोई,
निगाहें फेर क्यो बैठे,मेरा तो और ना कोई।
मैं रह भी पाउँगा कैसे,हुए जो दूर तुम मुझसे,
इशारा तो करो कोई,खता क्या हो गई मुझसे,
रुलाए क्यों मुझे लहरी,मेरा तो और ना कोई,
निगाहें फेर क्यो बैठे,मेरा तो और ना कोई।
अगर तुम मुस्कुराते हो,तो मैं भी मुस्कुराता हूँ,
मधुर बंशी बजाते हो,तो मैं भी गुनगुनाता हूँ,
हँसाए तो मैं हँसता हूँ,मेरा तो और ना कोई,
निगाहें फेर क्यो बैठे,मेरा तो और ना कोई।
तुम्हारे ही भरोसे तो,मेरी ये ज़िंदगानी है,
मेरी तो प्रीत बस तुमसे,तुम्ही को ही निभानी हैं,
कहूँ दिल की बता किस से,मेरा तो और ना कोई,
निगाहें फेर क्यो बैठे,मेरा तो और ना कोई।
निगाहें फेर क्यों बैठे,मेरा तो और ना कोई,
तुम्हारे लाखों दीवाने,मेरा तो और ना कोई,
निगाहें फेर क्यो बैठे,मेरा तो और ना कोई।
श्रेणी : कृष्ण भजन