ये धरती अंबर सारा डमरू वाले ने सवारा, Ye Dharti Ambar Sara Damru Wale Ne Swara

ये धरती अंबर सारा डमरू वाले ने सवारा



ये धरती अम्बर सारा,
डमरू वाले ने सवारा,
अब हम ये कहे भोले से,
की तेरे शिव कोई नहीं …2

तार जाता है जीवन सारा,
जिसे मिलता शिव का सहारा,
अब हम ये कहे भोले से,
की तेरे शिव कोई नहीं …2

तेरे हाथ का डमरू बाजे,
और माथे पे चंद साजे,
गले नाग की माला सोहे,
तेरे शीश में गंगा बिराजे,

सबका पलक है तू महादानी,
तेरी महिमा की लाखों कहानी,
भोले भंडारी है शिव त्रिपुरारी,
इस जगत में न तेरा कोई साही,

क्या पर्वत क्या समंदर,
सब तेरी दया पर निर्भर,
अब हम ये कहे भोले से,
की तेरे शिव कोई नहीं …2

हे बाबा मिलने तुझे,
सब तेरे दरबार चले,
तेरी करुणा पाकर,
हम सबके घर बार चले,

कल क्या होगा न जाने,
हम तो बस इतना मने,
धुन तेरी दया के बाबा,
सब अपने लगे बेगाने,

नैनो में बसा लेना हमको,
चरणों में जगह देना हमको,
अब हम ये कहे भोले से,
की तेरे सिवा कोई नहीं …2

हमे बाबा नहीं भुलाना,
छोड़ तू हमे न जाना,
भूल भक्तो की नादानियां,
सदा पलकों बीच बसना,

जब जीवन की ये शाम ढले,
हमे तेरी कमी तब नहीं कहले,
उस दिन बस इतना करना,
मंत्र मुक्ति का देना तो मोक्ष मिले,

जीवन अपना सफल हो जाये,
हम सब भाव सागर तार जाये,
अब हम ये कहे भोले से,
की तेरे सिवा कोई नहीं …2

ये धरती अम्बर सारा,
डमरू वाले ने सवारा,
अब हम ये कहे भोले से,
की तेरे सिवा कोई नहीं …2
की तेरे सिवा कोई नहीं …



श्रेणी : शिव भजन
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यह शिव भजन “ये धरती अंबर सारा, डमरू वाले ने सवारा” एक अत्यंत भावपूर्ण और भक्ति से परिपूर्ण रचना है, जो भगवान शिव की महिमा और उनके अपार करुणा को अत्यंत सरल शब्दों में प्रस्तुत करता है। इस भजन में भावनाओं की गहराई, श्रद्धा की मिठास और भक्त का अपने ईष्ट शिव से आत्मिक जुड़ाव झलकता है। हर पंक्ति में यह भजन भोलेनाथ की दिव्यता और उनके रूप-सौंदर्य का मनोहारी चित्रण करता है — चाहे वो डमरू की गूंज हो, चंद्रमा का मस्तक पर सुशोभित होना, गले में नाग का हार हो या फिर जटाओं में गंगा का वास।

भजन यह भी दर्शाता है कि जीवन की कठिन राहों में जब सब साथ छोड़ देते हैं, तब केवल एक शिव ही होते हैं जो हर भक्त को सहारा देते हैं। “अब हम ये कहे भोले से, कि तेरे सिवा कोई नहीं” — इस पंक्ति को दोहराकर भक्त अपनी पूरी आस्था के साथ यह स्वीकार करता है कि संसार में यदि कोई सच्चा साथी है, तो वो केवल और केवल शिव हैं।

इस भजन की खास बात यह है कि इसमें केवल स्तुति नहीं, बल्कि भावनाओं की गहराई, याचना, आत्मसमर्पण और अंततः मोक्ष की कामना भी बड़ी सहजता से व्यक्त की गई है। “जब जीवन की ये शाम ढले, हमें तेरी कमी तब नहीं खले” — जैसी पंक्तियाँ जीवन के अंतिम क्षणों में भी शिव की उपस्थिति और कृपा की कामना को दर्शाती हैं।

यह भजन न केवल सुनने वाले को भक्ति रस में डुबो देता है, बल्कि उन्हें आत्मचिंतन और शिव की ओर आकर्षित करने का कार्य भी करता है। यह स्पष्ट नहीं है कि इस भजन को किस कवि या भजनकार ने लिखा है, लेकिन इसकी भाषा, भाव और संरचना इसे एक कालजयी भक्ति गीत बना देती है, जो हर शिवभक्त के हृदय को छू जाता है। यह भजन किसी व्यक्तिगत अनुभव की तरह लगता है, जैसे किसी साधक ने अपने जीवन की संपूर्ण यात्रा को शब्दों में पिरोकर शिव के चरणों में अर्पित कर दिया हो।

Harshit Jain

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