महिमा हैं जिनकी न्यारी वो हैं बांके बिहारी
महिमा हैं जिनकी न्यारी, वो हैं बांके बिहारी, - २
बांके बिहारी मेरे कुंज बिहारी, - २
महिमा हैं जिनकी न्यारी, वो हैं बांके बिहारी,
सर पे इनके मोर मुकुट हैं - २
हाथो में हैं मुरली प्यारी, मेरे बांके बिहारी,
बांके बिहारी मेरे कुंज बिहारी, - २
महिमा हैं जिनकी न्यारी, वो हैं बांके बिहारी,
संग में इनके राधा जू प्यारी - २
जोड़ी बड़ी हैं निराली, मेरे बांके बिहारी,
बांके बिहारी मेरे कुंज बिहारी, - २
महिमा हैं जिनकी न्यारी, वो हैं बांके बिहारी,
सावली सूरत मोहनी सी मूरत - २
अंखिया बड़ी हैं कजरारी, मेरे बांके बिहारी,
बांके बिहारी मेरे कुंज बिहारी, - २
महिमा हैं जिनकी न्यारी, वो हैं बांके बिहारी,
Lyrics - Jay Prakash Verma, Indore
श्रेणी : कृष्ण भजन
यह भजन “महिमा हैं जिनकी न्यारी, वो हैं बाँके बिहारी” भगवान श्रीकृष्ण के बाँके बिहारी स्वरूप की अलौकिक महिमा का सुंदर वर्णन है। इस भजन के लेखक जय प्रकाश वर्मा, इंदौर हैं। पूरे भजन में भक्त प्रभु के दिव्य रूप, उनकी मोहक लीलाओं और उनकी अद्भुत छवि को बड़े सरल, भावपूर्ण और सहज रूप में प्रस्तुत करता है। पहली पंक्ति में कहा गया है कि कृष्ण की महिमा निराली है - वह किसी साधारण देवता की तरह नहीं, बल्कि अपने भक्तों के मन में प्रेम और आनंद की अनुभूति कराने वाले नटवर नागर हैं। उनके सिर पर सुशोभित मोर मुकुट और हाथों में मधुर मुरली उनके ब्रजस्वरूप का प्रतीक है, जिससे पूरा वृंदावन उनके प्रेम में डूब जाता है। भजन में आगे बताया गया है कि राधाजी और कृष्ण की जोड़ी अत्यंत अनोखी और दिव्य है - यह जोड़ी प्रेम, भक्ति और समर्पण का सबसे सुंदर रूप मानी जाती है। कृष्ण का साँवला, मोहक और कजरारी आँखों वाला स्वरूप भक्तों के हृदय को आकर्षित करता है, और इसी रूप के दर्शन से मन एक अनोखे आनंद से भर जाता है। पूरा भजन कृष्ण की सुंदरता, लीलाओं और राधाकृष्ण के पवित्र प्रेम का भावपूर्ण चित्रण करता है, जिसे सुनकर भक्त प्रेम और भक्ति की अनुभूति से भर उठता है।