ये प्रीत तुम्हारी श्याम
ये प्रीत तुम्हारी श्याम,हमें नहीं पोसाती हैं,
हम बुला बुला हारे,तुम्हें लाज नहीं आती है।
हम तो तुझे याद करें,तुम हमको बिसरा दो,
हम तुमको ना बिसराएँ,तुम हमको ठुकरा दो,
क्यों तड़पाते हो हमें,तुम बना के साथी है,
ये प्रीत तुम्हारी श्याम,हमें नहीं पोसाती हैं,
हम बुला बुला हारे,तुम्हें लाज नहीं आती है।
फेरत फेरत आँखें,ये पलकें भी दुखने लगी,
नहीं नींद हमें आती,ये रात भी ढलने लगी,
कैसे निर्मोही तुम,ये रात बताती है,
ये प्रीत तुम्हारी श्याम,हमें नहीं पोसाती हैं।
ये प्रीत तुम्हारी श्याम,हमें नहीं पोसती हैं।
जब हम सो जाते हैं,तुम दौड़े आते हो,
हम आँखते जब,तुम हँस के दिखाते हो,
कैसी ये प्रीत तेरी,हमें समझ में ना आती है,
ये प्रीत तुम्हारी श्याम,हमें नहीं पोसाती हैं।
ये प्रीत तुम्हारी श्याम,हमें नहीं पोसती हैं।
इक भक्त पुकारा था,तुझे जान से प्यारा था,
उसे लगन थी एक तेरी,एक तेरा सहारा था,
नरसी था नाम उनका,की भक्ति साँची है,
ये प्रीत तुम्हारी श्याम,हमें नहीं पोसाती हैं।
ये प्रीत तुम्हारी श्याम,हमें नहीं पोसती हैं।
श्रेणी : कृष्ण (खाटु श्याम) भजन