प्यारा सजा है तेरा द्वार भवानी
दोहा : दरबार तेरा दरबारों में,
एक ख़ास एहमियत रखता है ।
उसको वैसा मिल जाता है,
जो जैसी नियत रखता है ॥
बड़ा प्यारा सजा है द्वार भवानी ।
भक्तों की लगी है कतार भवानी ॥
ऊँचे पर्बत भवन निराला ।
आ के शीश निवावे संसार, भवानी ॥
प्यारा सजा है द्वार भवानी ॥
जगमग जगमग ज्योत जगे है ।
तेरे चरणों में गंगा की धार, भवानी ॥
तेरे भक्तों की लगी है कतार, भवानी ॥
लाल चुनरिया लाल लाल चूड़ा ।
गले लाल फूलों के सोहे हार, भवानी ॥
प्यारा सजा है द्वार, भवानी ॥
सावन महीना मैया झूला झूले ।
देखो रूप कंजको का धार भवानी ॥
प्यारा सजा है द्वार भवानी ॥
पल में भरती झोली खाली ।
तेरे खुले दया के भण्डार, भवानी ॥
तेरे भक्तों की लगी है कतार, भवानी ॥
लक्खा को है तेरा सहारा माँ ।
करदे अपने सरल का बेडा पार, भवानी ॥
प्यारा सजा है द्वार भवानी ॥
श्रेणी : दुर्गा भजन
PYARA SAJA HAI TERA DWAR [Full Song] -PYARA SAJA HAI TERA DWAR BHAWANI
यह भजन "प्यारा सजा है तेरा द्वार भवानी" माता दुर्गा की महिमा को समर्पित है और भक्तों के दिलों में आस्था और भक्ति की भावना को जागृत करता है। इस भजन में माता के दरबार की सुंदरता, भक्तों की आस्था और माँ के द्वारा प्रदान की गई कृपा का वर्णन किया गया है। "प्यारा सजा है तेरा द्वार भवानी" का अर्थ है कि माता का द्वार हमेशा भक्तों के लिए खुला रहता है, और वह अपनी अनुकंपा से हर किसी को आशीर्वाद देती हैं।
यह भजन श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है, जो माँ दुर्गा के प्रति भक्तों की अटूट आस्था को प्रकट करता है। इसके बोल भक्तों को मानसिक शांति और आशीर्वाद की अनुभूति कराते हैं। इसके माध्यम से हमें यह याद दिलाया जाता है कि माता का दरबार हमेशा हमारे लिए सजा हुआ है और हम अपनी श्रद्धा से उसमें प्रवेश कर सकते हैं।