जरा देर ठहरो राम
जरा देर ठहरो राम तमन्ना यही है,
अभी हमने जी भर के देखा नही है ॥
कैसी घड़ी आज जीवन की आई ।
अपने ही प्राणो की करते विदाई ।
अब ये अयोध्या हमारी नहीं है ॥
माता कौशल्या की आंखों के तारे।
दशरथ जी के राज दुलारे ।
कभी ये अयोध्या को भुलाना नहीं है ॥
जाओ प्रभु अब समय हो रहा है।
घरों का उजाला भी कम हो रहा है ।
अंधेरी निशा का ठिकाना नहीं है ॥
श्रेणी : राम भजन
Jara Der Thahro Ram || जरा देर ठहरो राम || Hindi Ram Bhajan
यह भजन उस मार्मिक क्षण को दर्शाता है जब भगवान राम अयोध्या छोड़कर वनवास जाने के लिए तैयार होते हैं। माता कौशल्या और समस्त अयोध्यावासियों का हृदय भारी है। अपने प्रिय राजकुमार को जाने देना कितना कठिन है, यह इन पंक्तियों में झलकता है:
"माता कौशल्या की आंखों के तारे, दशरथ जी के राज दुलारे। कभी ये अयोध्या को भुलाना नहीं है।"
सभी की आंखों में अश्रु हैं और हर हृदय राम को रोक लेना चाहता है। यह भजन न केवल राम के प्रति प्रेम और समर्पण दिखाता है बल्कि जीवन की उस कठिन घड़ी को भी व्यक्त करता है जब अपने ही प्राणप्रिय को विदा करना होता है।
"जाओ प्रभु अब समय हो रहा है, घरों का उजाला भी कम हो रहा है।"
यह भजन भक्तों के दिल को छू लेता है और राम के प्रति अटूट भक्ति को प्रकट करता है।
Jai shree Ram
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