पर्वत पर बजे नगाड़ों देवी मैया को
पर्वत पर बजे नगाड़ों देवी मैया को....
किसने तो मैया तेरा भवन बनायो,
किसने चवर ढुरायो देवी मैया को,
पर्वत पर बजे नगाड़ों देवी मैया को....
पांचो पांडव मैया भवन बनायो,
अर्जुन चवर ढुरायो देवी मैया को,
पर्वत पर बजे नगाड़ों देवी मैया को....
के गज गहरी मैया नीम रे खुदाई,
तो के गज को यामे गारों देवी मैया को,
पर्वत पर बजे नगाड़ों देवी मैया को....
नौ गज गहरी मैया नीम रे खुदाई,
तो दस गज को यामे गारो देवी मैया को,
पर्वत पर बजे नगाड़ों देवी मैया को....
नंगे नंगे पैरों मैया अकबर आयो,
सोने का छत्र चढ़ायो देवी मैया को,
पर्वत पर बजे नगाड़ों देवी मैया को....
नंगे नंगे पैरों मैया ध्यानू आयो,
अपनों शीश चढ़ायो देवी मैया को,
पर्वत पर बजे नगाड़ों देवी मैया को....
सुमीर मैया तेरो यश गायो,
तो अटल छत्र जयकारों देवी मैया को,
पर्वत पर बजे नगाड़ों देवी मैया को....
श्रेणी : दुर्गा भजन
यह गीत देवी माँ के आशीर्वाद और भक्ति को समर्पित है। इसमें देवी माँ के भवन और उनके विभिन्न रूपों की पूजा का वर्णन किया गया है। पांच पांडवों द्वारा देवी के लिए भवन बनाने और अर्जुन द्वारा चवर ढुराने का उल्लेख किया गया है। साथ ही देवी के अन्य भक्तों द्वारा उनका सम्मान करने और उनके गुणों का गायन करने की बात की गई है। इस गीत में नंगे पांव माँ के पास आने और उन्हें श्रद्धा अर्पित करने की भावना व्यक्त की गई है। यह गीत देवी माँ की महिमा और उनकी कृपा को उजागर करता है।