गुरु बिन ज्ञान गंगा बिन तीरथ रामा
गुरु बिन ज्ञान, गंगा बिन तीरथ रामा,
बिन रे एकादशी के व्रत काहे को रामा,
गुरु बिन ज्ञान, गंगा बिन तीरथ रामा...
बालू की भीत अटारी को चढ़नो रामा,
ओछे की प्रीत कटारी को मरना रामा,
गुरु बिन ज्ञान, गंगा बिन तीरथ रामा...
मन ना मिले वासे से मिलनो का है रामा,
प्रीत करे वासे कपट काहे को रामा,
गुरु बिन ज्ञान, गंगा बिन तीरथ रामा...
गुरु से कपट मित्र से चोरी रामा,
या होवे निर्धन या होवे कोड़ी रामा,
गुरु बिन ज्ञान, गंगा बिन तीरथ रामा...
मां बिन लाड पिता बिन आदर रामा,
बिन रे बिरान ब्युसार कहां है रामा,
गुरु बिन ज्ञान, गंगा बिन तीरथ रामा...
सास बिन लाड ससुर बिन आदर रामा,
बिन रे पति के श्रंगार कहां है रामा,
गुरु बिन ज्ञान, गंगा बिन तीरथ रामा...
धन विन मान पुरुष बिन आदर रामा,
बिन रे पुत्र परिवार काहे को रामा,
गुरु बिन ज्ञान, गंगा बिन तीरथ रामा...
पोथी बिन पंडित खड़ग विन क्षत्रिय रामा,
बिन सुमिरन के स्वर्ग कहां है रामा,
गुरु बिन ज्ञान, गंगा बिन तीरथ रामा...
गंगा ना नहाई वा को नहाना काहे को रामा,
दान ना दिया वा को पुण्य कहां है रामा,
गुरु बिन ज्ञान, गंगा बिन तीरथ रामा...
गुरुजी के कारण मैंने कुटुंब सजायो रामा,
नंद जी का लाला मेरे अंगना में आयो रामा,
यशोदा का लाला मेरे अंगना में आयो रामा,
देवकी को लाला मेरे अंगना में आयो रामा,
वसुदेव को लाला मेरे अंगना में आयो रामा,
गुरु बिन ज्ञान, गंगा बिन तीरथ रामा...
श्रेणी : राम भजन
गुरु बिन ज्ञान का जीवन अधूरा है, जैसे गंगा बिन तीरथ की यात्रा व्यर्थ होती है। बिना गुरु के ज्ञान का प्रकाश नहीं फैलता, और बिना एकादशी व्रत के भक्ति अधूरी रह जाती है। बालू की दीवार पर बनी इमारत और स्वार्थी प्रेम दोनों टिकते नहीं। सच्चे मन से रिश्ते और विश्वास ही जीवन को संपूर्ण बनाते हैं। बिना माता-पिता के स्नेह और आदर के परिवार का अस्तित्व अधूरा है। जैसे बिना गुरु के ज्ञान प्राप्त नहीं होता, वैसे बिना सच्चे संबंधों के जीवन अधूरा रहता है। धन, मान और शौर्य के बिना व्यक्ति सम्मान नहीं पाता, और बिना भक्ति के स्वर्ग का द्वार नहीं खुलता। गुरु के आशीर्वाद से जीवन में समृद्धि, ज्ञान और ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है। यही वह सत्य है, जो जीवन को सार्थक बनाता है।