अर्जुन से बोले एक रोज मोहन मदन
अर्जुन से बोले एक रोज मोहन मदन,
भक्त संकट में आये तो मैं क्या करूँ |
सीधी मुक्ति की राहें चलाई मैंने,
वो टेढ़ी राहों पे जाए तो मैं क्या करूँ |
सारी सृष्टि रची संग में माया रची,
कर्म करने को बुद्धि और शक्ति रची |
मोह ममता में फंसकर तड़पता रहा,
फिर मुझे भूल जाए तो मैं तो मैं क्या करूँ ||१||
कर्म करना मनुष्यों का कर्तव्य है,
उसमें तेरी सफलता मेरे हाथ है |
कामयाबी मिले होवे कृपा मेरी,
वो दिल में अभिमान लाये तो मैं क्या करूँ ||2||
राम का नाम दुनिया में अनमोल है,
न जपे तो मनुष्य की बड़ी भूल है |
पाप करते सारी जिंदगी ढल गयी ,
सीधे आंसू बहाय तो मैं क्या करूँ ||३||
अर्जुन वेदों पुराणों में लिखा यही,
हरना दुखियों के दुखड़े ये भक्ति मेरी |
रात दिन वेद गीता को पढ़ता रहा,
फिर अमल में न लाये तो मैं क्या करूँ ||४||
कर्म अच्छे करोगे मुझे पाओगे,
कुकर्मी बनोगे तो पछताओगे |
ज्ञान मोक्ष का अर्जुन सुनाया मैंने,
कोई माने न माने तो मैं क्या करूँ ||५||
श्रेणी : कृष्ण भजन
बोले अर्जुन से एक रोज मोहन मदन भक्त संकट में आये तो मैं क्या करूँ | Bole Arjun Se Ek Roz Mohan Madan
अर्जुन से बोले एक रोज मोहन मदन लिरिक्स Arjun Se Bole Ek Roj Mohan Madan Bhajan Lyrics, Krishna Bhajan, by Singer: Pratiksha
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