मन्दिर की सीढ़ी खाटू आकर जो चढ़ता है
( तर्ज- नैया है मझधार )
मन्दिर की सीढ़ी,खाटू आकर जो चढ़ता है
खाटूवाले की किर्पा से मौज करता है
पहली सीढ़ी चढ़ते ही मुख से है निकलता जय श्री श्याम
दूजी तीजी सीढ़ी पर निकले मुख से जय खाटूधाम
सुख मिलता है अपार,हर संकट से उबरता है
खाटूवाले की किर्पा से मौज करता है
चौथी पाँचवीं सीढ़ी चढ़ते ही बनते हर बिगड़े काम
छठी सातवीं आठवीं सीढ़ी काटे हैं कष्ट तमाम
दुश्मन हो संसार,फिर भी कुछ न बिगड़ता है
खाटूवाले की किर्पा से मौज करता है
नौवीं दसवीं सीढ़ी चढ़ते ही भर जातीं दोनों आँख
ग्यारहवीं सीढ़ी से बाबा से होतीं बातें बेबाक
शान से जीता है,बड़े ही शान से मरता है
खाटूवाले की किर्पा से मौज करता है
बारहवीं सीढ़ी चढ़ते ही किर्पा का होता एहसास
तेरहवीं सीढ़ी चढ़ते ही आ जाता वो एकदम पास
"मोहित" होता श्याम,तो प्रेमी आगे बढ़ता है
खाटूवाले की किर्पा से मौज करता है
श्रेणी : खाटू श्याम भजन
🙏🏻 मंदिर की सीढ़ी 🙏🏻 Mandir Ki Seedhi 🙏🏻 Khatu Shyam Ji Bhajan 🙏🏻 Mohit Sai Ji (Ayodhya) 9044466616
मन्दिर की सीढ़ी खाटू आकर जो चढ़ता है लिरिक्स Mandir Ki seedhi Khatu Aa Kar Jo Chadhta Hai Lyrics, Khatu Shyam Bhajan, by Singer: Mohit Sai Ji
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