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जैसा कि उपरोक्त आर्टिकल में बताया गया है, रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान रुद्र (शिव) का अभिषेक करना, जिसमें शिवलिंग पर रुद्र के मंत्रों के द्वारा पवित्र स्नान किया जाता है। यह प्रचलित है कि रुद्राभिषेक को भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने का श्रेष्ठ तरीका माना जाता है।
रुद्राभिषेक का मुख्य उद्देश्य है दुःखों को दूर करना और भगवान शिव के आशीर्वाद से सुख-शांति प्राप्त करना। शिवाभिषेक धार्मिक उपासना का एक महत्वपूर्ण पहलू है जो भगवान शिव की कृपा और दया को प्राप्त करने में मदद करता है।
रुद्राभिषेक करने के लिए प्रायः ब्राह्मण पंडितों का सहायता लिया जाता है, जो रुद्राष्टाध्यायी (यजुर्वेद का एक अंश) से यजमान को धार्मिक विधि के अनुसार अभिषेक करते हैं। रुद्राष्टाध्यायी यजुर्वेद में शिव रूप में प्रतिष्ठित रुद्र की महिमा का विवरण किया गया है और उनके मंत्रों का जाप करने से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
रुद्राभिषेक को धार्मिक अनुष्ठान के रूप में भी किया जाता है, और यह समाज में धार्मिकता, सात्विकता, और भक्ति के प्रतीक माना जाता है। यह पवित्र समारोह शिव-भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक अनुभव का समय होता है जो उन्हें शिव के साथ अभिन्नता महसूस करने में मदद करता है।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि हिंदू धर्म में यहां उपयोगिता अर्थात अभिषेक की परंपरा है और यह धार्मिक उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। यह एक आध्यात्मिक अनुष्ठान है, और इसमें भक्ति और श्रद्धा के साथ भगवान की आराधना की जाती है।
रुद्राभिषेक के लाभ:
1. रुद्राभिषेक करने से व्यक्ति को आत्मिक शांति और मानसिक स्थिरता मिलती है।2. भगवान शिव के आशीर्वाद से भक्त को सभी प्रकार के कष्टों और संकटों से मुक्ति मिलती है।
3. रुद्राभिषेक करने से स्वास्थ्य सुधारता है और रोगों का नाश होता है।
4. धन समृद्धि और व्यापार में वृद्धि होती है।
5. यह पूजा शिव भक्ति और आध्यात्मिक प्रगति को प्रोत्साहित करती है।
रुद्राभिषेक की पूर्ण विधि:
रुद्राष्टाध्यायी के एकादशिनी रुद्री के ग्यारह आवृति पाठ किया जाता है और इसे लघु रुद्र कहते हैं। यह पंच्यामृत से की जाने वाली पूजा है। इस पूजा को विशेषज्ञ ब्राह्मण द्वारा पूर्ण करवाना चाहिए। यह पूजा भगवान शिव के प्रति भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक होती है और इससे व्यक्ति के जीवन में समृद्धि और समृद्धि की प्राप्ति होती है।रुद्राभिषेक करने का तरीका:
रुद्राभिषेक को शिव लिंग के सामने अपनी इच्छा और श्रद्धा के साथ किया जाता है। यह कई पदार्थों से किया जा सकता है, जैसे जल, दूध, घी, शहद, फलों का रस, तिल, चने की दाल, शहद मिश्रित गंगा जल, कुमकुम केसर हल्दी आदि। अपनी संयुक्त इच्छा के अनुसार भगवान शिव के लिए किसी भी एक विधि से रुद्राभिषेक कर सकते हैं। ध्यान रहे कि शिवलिंग का अभिषेक निश्चित समय पर और विधि अनुसार ही करें।अब भी कुछ जानकारी या पूजा विधि के बारे में जानने की आवश्यकता हो तो आप अपने पास के पुराणों या तंत्र-मंत्र सम्बंधित ग्रंथों को देख सकते हैं या एक पंडित या ब्राह्मण से पूजा विधि और अभिषेक के बारे में सलाह ले सकते हैं। उन्हें आपको सही तरीके से बताएंगे और आपकी श्रद्धा और विश्वास से रुद्राभिषेक करने से आपको अधिक लाभ होगा।
ध्यान दें कि रुद्राभिषेक करने से पहले आपको शिव के लिए प्रार्थना करनी चाहिए और श्रद्धा भाव से पूजा करना चाहिए। आप अपने मन से भगवान शिव को भक्ति भाव से समर्पित कर सकते हैं और उनसे कृपा और आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।