कोई जाए अयोध्या तो मेरा सन्देश ले जाना
कोई जाए अयोध्या तो मेरा सन्देश ले जाना
मैं खुद तो जा नहीं पाऊं मेरा प्रणाम ले जाना
ये कहना ओ धनुर धारी मुझे तुम
पड़े जाल जो माया के उन्हें तुम कब मिटाओगे
मुझे इस घोर नगरी से मेरे भगवन ले जाना ॥
कोई जाए अयोध्या तो मेरा सन्देश ले जाना
मैं खुद तो जा नहीं पाऊं मेरा प्रणाम ले जाना ॥
जब उनके सामने जाओ उनको देखते रहना
मेरा जो हाल पूछे तो मुख से कुछ ना कह देना
बहा देना कुछ एक आंसू मेरी पहचान ले जाना ॥
कोई जाए अयोध्या तो मेरा सन्देश ले जाना
मैं खुद तो जा नहीं पाऊं मेरा प्रणाम ले जाना ॥
जो राते जाग कर देखे मेरे सब सपने ले जाना
मेरे आंसू तड़प मेरी मेरे सब भाव ले जाना
ना ले जाओ अगर मुझको मेरा सामान ले जाना ॥
कोई जाए अयोध्या तो मेरा सन्देश ले जाना
मैं खुद तो जा नहीं पाऊं मेरा प्रणाम ले जाना ॥
मैं भटकु दर बा दर प्यारे जो तेरे मन में आये अगर
मेरी जो सांस अंतिम हो वो निकले तेरे ही दर पर
राम दासी हूँ मैं तेरी मुझे हे राम ले जाना ॥
कोई जाए अयोध्या तो मेरा सन्देश ले जाना
मैं खुद तो जा नहीं पाऊं मेरा प्रणाम ले जाना ॥
श्रेणी : राम भजन