सुनी रे मैंने हरी आवन की आवाज़
सुनी रे मैंने हरी आवन की आवाज़
कौन बतावे मैं किसके द्वार जावूं
जब भी आवे मैं भगवान की धूप
उठाऊंगा मैं उसकी आरती मैं
धरती पे आगे बन्दी भगवान की
बिना प्रेम के ताकत नहीं तानी
मानव ने यहाँ जीवन क्या पाया
प्रेम के बिना नहीं कुछ भी जाना
क्योंकि यहाँ पे जगह केवल भगवान की
किसी अन्य की जगह नहीं मिलती
अब तो मेरी सजन भी आ गया
मेरे घर में उसका वास है पाया
सुनी रे मैंने हरी आवन की आवाज़
कौन बतावे मैं किसके द्वार जावूं
जब भी आवे मैं भगवान की धूप
उठाऊंगा मैं उसकी आरती मैं
श्रेणी : कृष्ण भजन
सुनी रे मैंने हरी आवन की आवाज़ | Suni Re Maine Hari Aavan Ki Aawaz | Krishna Bhajan | Azad Purohit
Suni Re Maine Hari Aavan Ki Aawaz Lyrics, Krishna Bhajan, by Singer: Azad Purohit Ji
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