सावन का महीना और ग्यारस का है दिन
तर्ज - सावन का महीना पवन करे शोर
सावन का महीना और ग्यारस का है दिन
ऐसे सज कर बैठा जैसे सज कर बैठा बिंद
दुनिया में तो मुझको हरदम ठुकराया है
और मेरे कान्हा तूने हरदम अपनाया है
सावन का महीना और ग्यारस का है दिन
ऐसे सज कर बैठा जैसे सज कर बैठा बिंद
मेरी राहों में तू है हरदम मेरे साथ
तेरा हाथ हो सिर पर मेरी बन जाएगी बात
सावन का महीना और ग्यारस का है दिन
ऐसे सज कर बैठा जैसे सज कर बैठा बिंद
तेरा नाम तो लेकर मेरा दिन बन जाता है
तू ही तो कन्हैया मेरे काम आता है
सावन का महीना और ग्यारस का है दिन
ऐसे सज कर बैठा जैसे बैठा हो कोई बिंद
ऐसे नाचू जैसे वन में नाचे मोर
कान्हा तेरी मेरी यह प्रेम की है डोर
सावन का महीना और ग्यारस का है दिन
ऐसे सज कर बैठा जैसे सज कर बैठा बिंद
तू ही तो मेरा मालिक ना कोई कान्हा कोई और
बन जाऊं तेरा फूल बाबा रहूं चरणों की ओर
सावन का महीना और ग्यारस का है दिन
ऐसे सज कर बैठा जैसे सज कर बैठा बिंद
लक्की को मेरे कान्हा तेरे दर पर बुला लेना
जन्म जन्म के लिए मेरे बाबा तू सेवक रख लेना
सावन का महीना और ग्यारस का है दिन
ऐसे सज कर बैठा जैसे सज कर बैठा बिंद
भजन स्वर - लक्की शुक्ला जी
श्रेणी : खाटू श्याम भजन
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