बालाजी आ जाओ
तुम मन के मंदिर में, रामलला संग रहते हो।
संकट की हर घड़ियों में, साथ मेरे तुम रहते हो।
बालाजी आ जाओ, आकर दर्शन दे जाओ।
तुम मन के मंदिर में, रामलला संग रहते हो।।
भूल हुई है लाखों मुझसे, फिर भी कृपा बरसाते हो।
मेरी भूल बुलाकर तुम, चरणों से लगाते हो।।
बालाजी आ जाओ ,आकर दर्शन दे जाओ।
तुम मन के मंदिर में, रामलला संग रहते हो।।
बाबा ने सब है दिया, कोई ना शिकायत है।
धन ना दोलत चाहूं मैं, मांगु भक्ति विरासत में।।
बालाजी आ जाओ, आकर दर्शन दे जाओ।
तुम मन के मंदिर में, रामलला संग रहते हो।।
देर न कर तू जल्दी चल, हनुमत के अब होंगे दर्शन।
बालाजी वहीं पे मिले, भजन राम के जहां पे चले।।
बालाजी आ जाओ, आकर दर्शन दे जाओ।
तुम मन के मंदिर में, रामलला संग रहते हो।।
मात-पिता ओर बंधु सखा, सब कुछ मेरे तुमही हो।
छोटे से इस जीवन में, हर शुरुआत तुम्ही से हो।
बालाजी आ जाओ, आकर दर्शन दे जाओ।
तुम मन के मंदिर में, रामलला संग रहते हो।
संकट की हर घड़ियों में, साथ मेरे तुम रहते हो।।
तुम मन के मंदिर में, रामलला संग रहते हो।
लेखक, गायक- पंडित मनोज नागर,
9893377018
श्रेणी : हनुमान भजन
BALAJI AA JAO | TUM MAN KE MANDIR ME | PANDIT MANOJ NAGAR | NEW HANUMAN BHAJAN |
यह भजन "तुम मन के मंदिर में, रामलला संग रहते हो" एक अत्यंत भावुक और श्रद्धा से ओतप्रोत रचना है, जिसे जाने-माने भजन गायक एवं लेखक पंडित मनोज नागर जी ने लिखा और स्वरबद्ध किया है। यह भजन भक्त और प्रभु बालाजी (हनुमान जी) के बीच के आत्मीय संबंध को दर्शाता है। भजन की प्रत्येक पंक्ति में गहरी भक्ति की भावना है, जिसमें भक्त अपने मन के मंदिर में रामलला के साथ विराजे हनुमान जी से संवाद करता है।
भजन में यह बताया गया है कि बालाजी हर कठिन समय में भक्त के साथ खड़े रहते हैं। भक्त अपने पापों की स्वीकारोक्ति करते हुए यह भी मानता है कि बालाजी बिना भेदभाव के उस पर कृपा बरसाते हैं और उसे फिर से अपने चरणों से जोड़ लेते हैं। इस भजन में भक्ति की पराकाष्ठा दिखाई देती है — जहां भक्त सांसारिक सुख-सुविधाओं की कामना नहीं करता, बल्कि केवल प्रभु की भक्ति को ही अपनी विरासत मानता है।
भजन का हर अंतरा, विशेष रूप से "बालाजी आ जाओ, आकर दर्शन दे जाओ", एक पुकार है, एक विनती है जो सीधे दिल को छू जाती है। यह भजन न केवल भावनात्मक रूप से जुड़ता है, बल्कि सुनने वाले को भीतर तक भक्ति के रंग में रंग देता है। विशेष रूप से आख़िरी पंक्तियाँ, जहां भक्त बालाजी को अपना सबकुछ मानता है — माता-पिता, सखा और सहारा — यह गूंज हर श्रद्धालु के मन में गहरी जगह बना लेती है।
कुल मिलाकर, यह भजन प्रेम, आस्था और समर्पण का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसे सुनना और गुनगुनाना भक्त को आत्मिक शांति और आनंद प्रदान करता है।