चलो भक्तों मंदिरा नू चलिए
धुन - मन चलो वृंदावन चलिए
चलो, भगतो, मंदिरों को चलिए ll
जहाँ, रहती है, शेरांवाली माँ ll
जहाँ, रहती है, मेहरों वाली माँ l
चलो, भगतो, मंदिरों को चलिए ll
मइया, ऊँचें, पहाड़ों पर बसती l
वहाँ, चढ़कर, चढ़ाइयाँ चलिए ll
वहाँ, रहती है, शेरांवाली माँ जी l
चलो, भगतो, मंदिरों को चलिए,,,
जहाँ, बाणगंगा का, पावन पानी है l
वहीं, सिर, धोया महारानी ने ll
तू भी, वहाँ, नहा के आ ll
चलो, भगतो, मंदिरों को चलिए,,,
माँ की, मूरत तू, मन में बसा ले l
माँ का, दर्शन, करके तू आ ll
माँ की, जय जयकार, तू बुला ll
चलो, भगतो, मंदिरों को चलिए,,,
माँ के, भवनों की, ऊँची ऊँची पौड़ियाँ l
जहाँ, मिलती हैं, लालाओं की जोड़ियाँ ll
माँ के, दर पर तू, झोली फैला ll
चलो, भगतो, मंदिरों को चलिए,,,
अपलोडर - अनिलरामूर्ति भोपाल
श्रेणी : दुर्गा भजन
नवरात्रि भजन🌷माता रानी का बहुत ही सुंदर भजन एक बार जरूर सुने #matarani #navratrispecial
"चलो, भगतो, मंदिरों को चलिए" भजन एक सुंदर और भावनात्मक यात्रा है, जो भक्तों को माँ दुर्गा के मंदिरों की ओर प्रेरित करता है। इस भजन के माध्यम से भक्ति और श्रद्धा की गहरी भावना को व्यक्त किया गया है। भक्तों को यह संदेश दिया जाता है कि वे माँ के दर पर जाकर अपनी भक्ति अर्पित करें, ताकि उनके जीवन में शांति और सुख की प्राप्ति हो सके।
भजन की शुरुआत में कहा गया है कि शेरांवाली माँ और मेहरों वाली माँ के मंदिरों की ओर चलने का समय आ गया है। यह मंदिर माँ के आशीर्वाद का प्रतीक हैं, जहाँ भक्त अपनी श्रद्धा से माँ की आराधना करते हैं। यह भजन भक्तों को यह याद दिलाने के लिए है कि माँ के दर पर आकर जीवन की समस्याओं से मुक्त हुआ जा सकता है।
फिर भजन में माँ के निवास स्थान का वर्णन किया जाता है, जो ऊँचें पहाड़ों पर स्थित है। भक्तों को वहाँ चढ़कर माँ के दर्शन करने और उनके आशीर्वाद से समृद्ध होने की प्रेरणा दी जाती है। इसके बाद, बाणगंगा का पावन पानी और माँ के सिर धोने का उल्लेख किया गया है, जो भक्तों को शुद्धि और पुण्य की प्राप्ति का संदेश देता है। भक्तों को यह कहा जाता है कि वे भी वहाँ जाकर नहा कर आकर माँ के आशीर्वाद से लाभान्वित हो सकते हैं।
भजन में माँ की मूरत को अपने मन में बसाने की बात की जाती है, ताकि भक्त हर समय माँ की याद में डूबे रहें और उनका जीवन सुखमय हो। माँ के जयकारे से वातावरण को शुभ और पवित्र बनाने की प्रेरणा भी दी जाती है।
इसके बाद, भजन में माँ के मंदिरों के उच्च और पवित्र भवनों का वर्णन किया गया है, जहाँ लालाओं की जोड़ियाँ मिलती हैं और माँ के दर पर आकर भक्त अपनी झोली फैला सकते हैं, ताकि उनकी मनोकामनाएँ पूरी हो सकें।
"चलो, भगतो, मंदिरों को चलिए" भजन भक्तों को माँ के मंदिरों में जाने और अपनी श्रद्धा अर्पित करने के लिए प्रेरित करता है। यह भजन नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से गाया जाता है और माँ के प्रति भक्तों की गहरी श्रद्धा और भक्ति को व्यक्त करता है।