कौन लंका जला पाता
|| दोहा ||
देख के सागर की लहरों को,वानर सब घबराये।
कैसे होगा पार ये सागर, मन ही मन सकुचाये।।
जामवंत ने बजरंगी से जाकर करी गुहार,
सिवा तुम्हारे कौन ये सागर कर पायेगा पार,
कौन लंका जला पाता,अगर हनुमान न होते।
पता न सीता का लग पाता अगर हनुमान न होते।।
लाँघक़र के समंदर को, पहुँचे लंका के वो अंदर
देख़ हनुमान की ताकत, काँप उठ्ठा था दशकँधर
कौन सूरज निकल पता, अगर हनुमान ना होते
आ के शक्ति लगी ऐसी, मूर्छा खा गए लक्ष्मण
संजीवन बूटी लाने को, गए वो दौड़ के ततक्षण
कौन पर्वत उठा पाता, अगर हनुमान न होते
राम का नाम लेकर के, जो इनके पास जाते हैं
उनके जीवन की तकलीफें, ये पल भर में मिटाते हैं
कौन संकट मिटा पाता, अगर हनुमान न होते
श्रेणी : हनुमान भजन
KON LANKA JALA PATA - Official Music Video | Vikash Sharma | Latest 2025 | Rasila Infotainment
यह भजन भगवान हनुमान के अद्वितीय बल और उनकी अजेय शक्ति का गुणगान करता है। भजन की शुरुआत एक दोहे से होती है, जिसमें सागर पार करने के बारे में वानरों के घबराने और हनुमान जी के द्वारा उन्हें साहस देने की कहानी कही गई है। इस दोहे में जामवंत के हनुमान जी से मदद मांगने का वर्णन है, जो उनके अद्वितीय बल और भगवान राम की भक्ति में विश्वास को दर्शाता है।
इस भजन के माध्यम से यह बताया गया है कि हनुमान जी की शक्ति के बिना कोई भी कार्य संभव नहीं था। चाहे वह सीता माता का पता लगाना हो या लंका को जलाना हो, हनुमान जी के बिना ये सभी कार्य असंभव होते। इसके साथ ही, जब लक्ष्मण की जीवन की स्थिति गंभीर हुई, तब हनुमान जी ने संजीवनी बूटी लाकर उन्हें जीवनदान दिया।
भजन के अंत में हनुमान जी के राम के प्रति अनन्य भक्ति का उल्लेख किया गया है, और यह कहा गया है कि जो भी हनुमान जी के पास जाते हैं, उनकी सभी कठिनाइयाँ और संकट समाप्त हो जाते हैं। यह भजन भगवान हनुमान की भक्ति और उनके अद्वितीय कार्यों की महिमा को प्रस्तुत करता है।