श्याम को मेलो मेरे दिलदार को
तर्ज - ओ चालो देखण ने बाईसा थारो वीरो नाच हैं
ओ चलो देखण ने भक्तों खाटू धाम को मेलो,
श्याम को मेलो मेरे दिलदार को मेलो चलो देखण ने,
मेले माही कर में तो रंग गुलाल उड़वांगा,
भगता आया नाचता थे भी तो आओ रे,
ओ चलो देखण ने भक्तों खाटू ...
ढप और चंग बाजे बाबा तान निकली सुरीली जी,
रंग थारे लगवा बाबा थे भी लगायो रे,
ओ चलो देखण ने भक्तों खाटू ...
भगता के संग मिलकर बाबा खाटू मे तो आया जी
लकी सुनावे भाव बाबा मुस्कुराओ रे
ओ चलो देखण ने भक्तों खाटू ...
Lyrics - lucky Shukla
श्रेणी : खाटू श्याम भजन

"श्याम को मेलो मेरे दिलदार को" – यह भजन खाटू श्याम बाबा की महिमा और खाटू धाम के रंग-बिरंगे मेले का जीवंत वर्णन है। लक्की शुक्ला द्वारा रचित यह भजन उस भक्ति, उल्लास और प्रेम से सराबोर है जो श्याम बाबा के भक्तों में स्वाभाविक रूप से दिखाई देता है। इसकी तर्ज “ओ चालो देखण ने बाईसा थारो वीरो नाच है” पर आधारित है, जो इसे लोकगीत की मिठास और मेले की मस्ती से भर देता है।
भजन की शुरुआत में भक्तों को खाटू धाम चलने का आमंत्रण है, जहां मेले का माहौल है और दिलदार श्याम बाबा के दर्शन का सौभाग्य मिलता है। इसमें वह भाव है कि श्याम के मेले में शामिल होना सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक उत्सव है। भक्त कहता है कि वह अपने हाथों से रंग गुलाल उड़ाएगा और बाबा के दर्शन कर, नाचते हुए अपनी श्रद्धा अर्पित करेगा।
ढप और चंग की धुन पर जब बाबा की तान गूंजती है, तो पूरा वातावरण भक्ति और संगीत में डूब जाता है। भजन यह दर्शाता है कि बाबा खुद भी रंग लगवाते हैं और अपने भक्तों को रंगते हैं – यह एक अत्यंत आत्मीय संबंध को दर्शाता है।
अंत में, भजनकार लक्की शुक्ला का नाम आते ही यह स्पष्ट होता है कि यह भावपूर्ण भजन उनके दिल से निकला है, और जब वे इसे गाते हैं तो ऐसा लगता है जैसे खुद बाबा मुस्कुरा रहे हों।
यह भजन खाटू श्याम मेले की जीवंतता, भक्तों की निष्ठा, और श्याम बाबा की कृपा को बेहद सजीव और रंगीन अंदाज़ में प्रस्तुत करता है। नवरात्रि, फाल्गुन मेला, या किसी भी भक्ति उत्सव में यह भजन श्याम प्रेमियों को भाव-विभोर कर देता है।