कान्हा तेरे आगे खड़ा हूँ हाथ जोड़
कान्हा तेरे आगे खड़ा हूँ हाथ जोड़,
विनती मेरी सुन लो ओ मेरे नन्द किशोर,
हारे हुए को कान्हा तुम हो जीताते,
भटके हुए को राह दिखाते,
हारे हुए को कान्हा तुम हो जीताते,
भटके हुए को राह दिखाते,
मैं भी हार गया हूँ देखो ना मेरी ओर ,
विनती मेरी सुन लो ओ मेरे नन्द किशोर,
महिमा सुनी हैं सब से दर की ये तेरी,
कब होगी पूरी कान्हा इच्छा ये मेरी,
महिमा सुनी हैं सब से दर की ये तेरी,
कब होगी पूरी कान्हा इच्छा ये मेरी,
जब तक मेरी सुनो ना जाऊ ना कही ओर,
विनती मेरी सुन लो ओ मेरे नन्द किशोर,
क्या मैं बताऊ तुमको सब तो पता हैं,
हाल ये मेरा क्या तुमसे छुपा हैं,
क्या मैं बताऊ तुमको सब तो पता हैं,
हाल ये मेरा क्या तुमसे छुपा हैं,
कर दो इच्छा पूरी तरसाओ ना अब ओर ,
विनती मेरी सुन लो,ओ मेरे नन्द किशोर ,
Lyr ics - Jay Prakash Verma, Indore
श्रेणी : कृष्ण भजन
कान्हा तेरे आगे खड़ा हूँ हाथ जोड़ । #bankebihari #virdavan #krishna #shyam #radhe #kanha #radheradhe
यह भजन “कान्हा तेरे आगे खड़ा हूँ हाथ जोड़” भावों से भरा एक अत्यंत मार्मिक कृष्ण भजन है, जिसे जय प्रकाश वर्मा (इंदौर) द्वारा लिखा गया है। इस भजन में एक भक्त का अपने आराध्य श्रीकृष्ण से भावपूर्ण संवाद देखने को मिलता है, जहाँ वह हार मानकर अपने जीवन की सारी पीड़ा, असमर्थता और आशा को लेकर श्रीकृष्ण के चरणों में प्रस्तुत होता है। भजन में नन्दलाल से विनती की गई है कि वह हारे हुए को जीत दिलाते हैं, भटके हुए को राह दिखाते हैं – ठीक वैसे ही जैसे द्वारका के प्रभु ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। यहाँ भक्त अपने जीवन की व्यथा को छुपाए बिना सच्चे हृदय से श्रीकृष्ण से कहता है कि जब तक वह उसकी सुनवाई नहीं करेंगे, तब तक वह कहीं और नहीं जाएगा। इस भजन की सबसे विशेष बात यह है कि इसमें भगवान श्रीकृष्ण की महिमा का वर्णन करते हुए भी, भक्ति की गहराई और आत्म surrender को अत्यंत सरल लेकिन भावपूर्ण शब्दों में पिरोया गया है। जय प्रकाश वर्मा द्वारा रचित यह भजन हर उस व्यक्ति के हृदय को स्पर्श करता है जो अपने जीवन के संघर्षों में श्रीकृष्ण को अपना साथी और मार्गदर्शक मानता है।
आदरणीय हर्षित जी,
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत आभार,
जय श्री राधे।। जय श्री कृष्ण।।