मिलता हैं हमको सुख केवल श्याम तुम्हारे भजनों में
मिलता हैं हमको सुख केवल,
श्याम तुम्हारे भजनों में,
ये विनती हैं, हम भक्तों की,
रहे ध्यान तुम्हारे भजनों में,
सारे जग को हमने छोड़ा हैं,
बस तुमसे रिश्ता जोड़ा हैं,
अब जुड़ा रहे बंधन ये सदा,
रहे ध्यान तुम्हारे भजनों में,
मिलता हैं हमको सुख केवल,
श्याम तुम्हारे भजनों में,
ये विनती हैं, हम भक्तों की,
रहे ध्यान तुम्हारे भजनों में,
बरसो से हम तो भटक रहे,
दर्शन को तुम्हारे तरस रहे,
जब तक ना दरश तुम्हारा हो,
रहे ध्यान तुम्हारे भजनों में,
मिलता हैं हमको सुख केवल,
श्याम तुम्हारे भजनों में,
ये विनती हैं, हम भक्तों की,
रहे ध्यान तुम्हारे भजनों में,
हमें धन और दौलत मत देना,
हमें नाम और शोहरत मत देना,
बस इतनी कृपा तुम कर देना,
रहे ध्यान तुम्हारे भजनों में,
मिलता हैं हमको सुख केवल,
श्याम तुम्हारे भजनों में,
ये विनती हैं, हम भक्तों की,
रहे ध्यान तुम्हारे भजनों में,
चाहे सुबह हो या शाम हो,
होठो पे तुम्हारा नाम हो,
हम जपते रहे तेरा नाम सदा,
रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में,
मिलता हैं हमको सुख केवल,
श्याम तुम्हारे भजनों में,
ये विनती हैं, हम भक्तों की,
रहे ध्यान तुम्हारे भजनों में,
Lyrics - Jay Prakash Verma, Indore
श्रेणी : कृष्ण भजन
मिलता हैं हमको सुख केवल श्याम तुम्हारे भजनों में । #krishna #shyam #bankebihari #virdavan #radhe
"मिलता है हमको सुख केवल श्याम तुम्हारे भजनों में" – यह भजन भक्तों की अंतरात्मा की गहराई से निकली हुई वह पुकार है, जिसमें जीवन के समस्त सुख-दुख, आशाएँ और श्रद्धा, केवल एक ही दिशा में केंद्रित होती हैं – श्री श्याम के चरणों में। इस भजन को जय प्रकाश वर्मा (इंदौर) जी ने लिखा है, और उन्होंने इसमें भावनाओं की उस निर्झरिणी को पिरोया है जो हर सच्चे भक्त के मन में बहती है।
इस भजन की खास बात यह है कि यह किसी सांसारिक सुख, वैभव या शोहरत की कामना नहीं करता। यहाँ पर भक्ति का स्वरूप शुद्ध, निरपेक्ष और आत्मिक है। रचयिता कहते हैं कि उन्हें श्याम की भक्ति में ही शांति मिलती है, और उनका एकमात्र आग्रह यही है कि उनका मन सदा श्री श्याम के भजनों और चरणों में स्थिर बना रहे।
भजन की एक-एक पंक्ति श्याम की महिमा, उनकी कृपा, और भक्त के आत्मसमर्पण की भावना को उजागर करती है। जब लेखक कहते हैं:
"हमें धन और दौलत मत देना, हमें नाम और शोहरत मत देना,"
तो यह स्पष्ट होता है कि यह भजन सांसारिक आकांक्षाओं से परे जाकर पूर्ण समर्पण और आत्मिक संतोष का प्रतीक बन जाता है।
इस रचना में भक्ति की वह विरक्ति भी है जो कहती है – “सारा जग छोड़ दिया, अब बस तुझसे ही नाता है।” यही वह भावना है जो श्री श्याम को सबसे प्रिय होती है।
यह भजन केवल शब्दों का संकलन नहीं है, यह एक जीवंत अनुभव है, एक ऐसा अनुभव जो श्याम प्रेमियों को रुला देता है, उनके मन में भक्ति की आग को और प्रज्वलित कर देता है। इसके माध्यम से हर भक्त को प्रेरणा मिलती है कि जब तक श्याम के दर्शन न हों, जब तक उनकी झलक न मिले, तब तक हर पल, हर क्षण केवल उन्हीं के भजन, उन्हीं का स्मरण, और उन्हीं की आराधना होती रहे।
संक्षेप में, "मिलता है हमको सुख केवल..." एक ऐसी आत्मिक रचना है जो श्याम प्रेमियों के लिए एक सच्चा मार्गदर्शन बनती है, जो बताती है कि सच्चा सुख किसी भौतिक वस्तु में नहीं, बल्कि श्याम के भजनों में ही है।
हर्षित जी, आपका बहुत बहुत धन्यवाद,
ReplyDeleteजय श्री श्याम, जय श्री राधे,,
जय प्रकाश वर्मा, इंदौर 🙏🙏