कान्हा रे कान्हा रे भक्ति तेरी साची
कान्हा रे कान्हा रे भक्ति तेरी साची,
कैसे जाऊ दर छोड़ के,
तेरे हाथो में हैं मेरे मन की ड़ोरी,
ना तुने छोड़ी ना मेंने छोड़ी,
वापस जो जाऊंगा खिंचा चला आऊंगा,
ना जाऊं तेरी गली छोड़ के....
झूठा हैं ये जग सारा सच्चा नहीं,
तेरे बिना कुछ भी अच्छा नहीं,
मुश्किल है पाना तुझको मेंरे कान्हा,
फिर भी मनाऊं हाथ जोड़ के....
भक्ति में तेरी तन रंग लिया,
तन क्या है मेने मन रंग लिया,
अब चुप न रहना बस इतना कहना,
दूर मत जाना तू छोड़ के.....
Lyrics - Jay Prakash Verma, Indore
Voice - Jay Prakash & Priya Verma, Indore
श्रेणी : कृष्ण भजन
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यह कृष्ण भजन सच्ची भक्ति, पूर्ण समर्पण और अटूट विश्वास की भावना को बहुत सरल और गहरे भाव में व्यक्त करता है। इस भजन के गीतकार जय प्रकाश वर्मा, इंदौर हैं और इसे जय प्रकाश वर्मा एवं प्रिया वर्मा ने अपनी मधुर आवाज़ में गाया है। भजन में भक्त स्वीकार करता है कि उसका मन पूरी तरह कन्हैया के हाथों की डोर में बँध चुका है और अब वह उनकी गली छोड़कर कहीं नहीं जा सकता। संसार को झूठा और कृष्ण को ही एकमात्र सच्चा सहारा मानते हुए, भक्त अपनी तन-मन की आभा भक्ति में रंग देता है। यह भजन श्रोता के हृदय में वैराग्य, प्रेम और श्रीकृष्ण के प्रति गहरी आस्था जगाता है और यह संदेश देता है कि सच्ची भक्ति में भगवान से दूरी असंभव हो जाती है।
Harshit Ji,
ReplyDeleteRadhe Radhe