आएगा जब रे बुलाबा हरि का
आएगा जब रे बुलावा हरी का,
छोड़ के सब कुछ जाना पड़ेगा,
नाम हरी का साथ जायेगा,
और तू कुछ ना ले पायेगा,
आएगा जब रे बुलावा हरी का,
छोड़ के सब कुछ जाना पड़ेगा,
राग द्वेष में हरी बिसरायो,
भूल के निज को जनम ग,
आएगा जब रे बुलावा हरी का,
छोड़ के सब कुछ जाना पड़ेगा,
नाम हरी का साथ जायेगा,
और तू कुछ ना ले पायेगा,
आएगा जब रे बुलावा हरी का,
छोड़ के सब कुछ जाना पड़ेगा,
सुमिरन की साची कमाई,
झूठी जग की सब है सगाई,
आएगा जब रे बुलावा हरी का,,
छोड़ के सब कुछ जाना पड़ेगा,
अर्जी कर तू हरी से ऐसी,
भक्ति मिले मीरा की जैसी,
आएगा जब रे बुलावा हरी का,
छोड़ के सब कुछ जाना पड़ेगा,
हाथ तेरे जीवन की बाज़ी,
भक्ति से कर तू हरी को राज़ी,
आएगा जब रे बुलावा हरी का,
छोड़ के सब कुछ जाना पड़ेगा,
नाम हरी का साथ जायेगा,
और तू कुछ ना ले पायेगा,
आएगा जब रे बुलावा हरी का.....
श्रेणी : विविध भजन
आयेगा जब रे बुलाबा हरि का छोड़ कर सब कुछ जाना पड़ेगा..
"आएगा जब रे बुलावा हरि का" एक अत्यंत मार्मिक और आत्मा को झकझोर देने वाला कृष्ण भजन है, जो हमें इस जीवन की क्षणभंगुरता और ईश्वर भक्ति के महत्व की गहराई से अनुभूति कराता है। इस भजन में बताया गया है कि जब प्रभु श्री हरि का बुलावा आएगा, तब मनुष्य को यह माया-मोह, धन-दौलत, राग-द्वेष और सभी सांसारिक बंधनों को त्याग कर अकेले ही जाना पड़ेगा।
भजन का मूल संदेश यही है कि इस संसार में जो कुछ भी है वह नश्वर है, केवल श्री हरि का नाम ही हमारे साथ जाता है। यही वह सच्ची पूंजी है जिसे सुमिरन (स्मरण) करके कमाया जा सकता है। भजन में मीरा जैसी भक्ति की कामना की गई है और यह भावना प्रकट की गई है कि हरि की भक्ति से ही जीवन सफल बन सकता है।
इस भजन को जिस भाव और श्रद्धा से लिखा गया है, वह इसे केवल एक गीत नहीं बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव बना देता है। इसमें जीवन की गूढ़ सच्चाइयों को सरल शब्दों में प्रस्तुत किया गया है, जो सीधे श्रोता के हृदय तक पहुँचता है।
ऐसे भजनों की रचना साधना और आत्मिक अनुभव का परिणाम होती है। इस भावपूर्ण रचना को जिसने भी लिखा है, उसने गहन आध्यात्मिक चेतना और भक्ति भाव को बहुत ही सुंदर रूप में शब्दों में पिरोया है। यह भजन केवल सुनने योग्य ही नहीं, बल्कि आत्मा को जागृत करने वाला संदेश है।