hey vishnu bhagwan tumhara dhyan in hindi lyrics

हे विष्णु भगवान तुम्हारा ध्यान



हे विष्णु भगवान तुम्हारा ध्यान करें कल्याण,

जगत के तुम हो पालनहार करूँ मैं तुमको बारंबार,
हे विष्णु भगवान तुम्हारा ध्यान करें कल्याण,
जगत के तुम हो पालनहार करूँ मैं तुमको बारंबार,
नमोस्तुते, नमोस्तुते, नमोस्तुते, नमोस्तुते, नमोस्तुते, नमोस्तुते.....

तुम वेदों में उपदेश बने रामायण में संदेश बने,
रामायण में संदेश बने, रामायण में संदेश बने,
तुम तीन लोक के स्वामी हो अंतर क्या अंतर्यामी हो,
अंतर क्या अंतर्यामी हो, अंतर क्या अंतर्यामी हो,
विनती है तुमसे कि सबका करना तुम उद्धार,
तुम्हारे दशम् में दशम् अवतार करूँ मैं तुमको बारंबार,
नमोस्तुते, नमोस्तुते, नमोस्तुते, नमोस्तुते, नमोस्तुते, नमोस्तुते......

जो झुके तुम्हारे चरणन में, सुख भर ले अपने जीवन में,
सुख भर ले अपने जीवन में, सुख भर ले अपने जीवन में,
तुम पुण्य दान में रहते हो, तुम कथा ज्ञान में रहते हो,
तुम कथा ज्ञान में रहते हो, तुम कथा ज्ञान में रहते हो,
तुम से ही हर एक अर्चना होती है साकार,
तुम्हारा इस जग पे आभार करूं मैं तुमको बारंबार,
नमोस्तुते, नमोस्तुते, नमोस्तुते, नमोस्तुते, नमोस्तुते, नमोस्तुते.....

अमृत मंथन में रुप धरा, देवों में नव उत्साह भरा,
देवों में नव उत्साह भरा, देवों में नव उत्साह भरा,
तुम सृष्टि कार तुम पुण्य देव, तुम नारायण तुम सत्यमेव,
तुम नारायण तुम सत्यमेव, तुम नारायण तुम सत्यमेव,
सुख पावे वह प्राणी जो नित करता है सत्कार,
भगती की भक्ति का आधार करूं मैं तुमको बारंबार,
नमोस्तुते, नमोस्तुते, नमोस्तुते, नमोस्तुते, नमोस्तुते, नमोस्तुते.....



श्रेणी : विष्णु भजन



hey vishnu bhagwan tumhara dhyan

"हे विष्णु भगवान तुम्हारा ध्यान" एक अत्यंत मधुर और श्रद्धाभाव से ओत-प्रोत भजन है, जो भगवान विष्णु की महिमा और उनके दिव्य रूपों का सजीव वर्णन करता है। इस भजन के माध्यम से भक्त भगवान विष्णु के चरणों में अपना मन समर्पित करता है और बारंबार उन्हें प्रणाम करता है। भजन की शुरुआत में भक्त भावपूर्वक कहता है कि हे विष्णु भगवान, मैं आपका ध्यान करता हूँ जिससे कल्याण हो। आप ही इस जगत के पालनहार हैं और मैं आपको बारंबार नमन करता हूँ।

इस भजन की विशेषता यह है कि इसमें भगवान विष्णु के विविध स्वरूपों का सुंदर वर्णन किया गया है — वेदों में उपदेश बनकर, रामायण में संदेश बनकर, तीनों लोकों के स्वामी और अंतर्यामी बनकर वे हर स्थान पर विराजमान हैं। साथ ही, इसमें यह भी बताया गया है कि जो भक्त उनके चरणों में झुकता है, उसके जीवन में सुख ही सुख भर जाता है।

भजन के अंत में "नमोस्तुते" की मधुर पुनरावृत्ति, हर अंतरे में, एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला प्रभाव छोड़ती है। यह भजन सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभूति है, जो भक्ति, श्रद्धा और आत्मसमर्पण की भावना से भरा हुआ है। ऐसा भजन न केवल सुनने में मधुर है, बल्कि आत्मा को शांति और हृदय को श्रद्धा से भर देता है।

इस भजन की रचना जिस भाव से की गई है, वह सचमुच में प्रेरणादायक है। इसे कोई गायक, रचनाकार या भजनकार जिसने भी लिखा है, उसने अपनी भक्ति और भगवान विष्णु के प्रति अपनी श्रद्धा को बहुत ही सुंदरता से शब्दों में पिरोया है।

Harshit Jain

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