जय जय शनि देव् अद्भुत तेरी ही माया
जय जय शनि देव् अद्भुत तेरी ही माया शनि तेरी विशाल है काया,
शनि तीर्थ जगत चोगना कर के मैंने जीवन का सुख पाया,
जय जय शनि देव् अद्भुत तेरी ही माया शनि तेरी विशाल है काया,
जय दीं बंधू सुख सागर हम आये द्वार तिहरे,
हम दूर दीं के मारे है हमे अपनी किरपा से उभारे,
मेरे कर्मो के फल दाता प्रभु तुम हो भगयेविद्याता,
जय जय शनि देव् अद्भुत तेरी ही माया शनि तेरी विशाल है काया,
शनि को तिल तेल चढ़ाओ और चरणों में शीश जुकाओ,
शुभ काले वस्त्र पहन कर देवा की धुनि लगाओ,
शनि देव की किरपा हो जाए तो बेडा पार हो जाता,
जय जय शनि देव् अद्भुत तेरी ही माया
कहती विशाल ये काया के भक्त नहीं गबराये,
शनि रक्षा करेंगे उनकी सब अपना धर्म निभाये,
उस पर शनि देव की किरपा हुई जो सदा सत्ये अपनाता,
जय जय शनि देव् अद्भुत तेरी ही माया...
श्रेणी : शनि देव भजन
jay jay shani dev adhbhut teri hi maya - जय जय शनि देव् अद्भुत तेरी ही माया
यह भजन "जय जय शनि देव् अद्भुत तेरी ही माया" एक अत्यंत भावपूर्ण और श्रद्धा से ओतप्रोत रचना है, जो शनि देव की महिमा, उनकी कृपा और भक्तों के प्रति उनके अपार स्नेह को उजागर करती है। इस भजन में शनि देव की विशाल काया, उनके अद्भुत चमत्कार और उनके द्वारा भक्तों को दी गई राहत का सुंदर वर्णन किया गया है। भक्त अपने जीवन के दुःखों और कष्टों से मुक्ति पाने के लिए शनि देव के द्वार पर आते हैं और उनकी कृपा से उन्हें नया जीवन, सुख और शांति प्राप्त होती है।
इस रचना में बताया गया है कि शनि देव अपने भक्तों के कर्मों का फल देने वाले न्यायप्रिय देवता हैं, जो सच्चे मन से भक्ति करने वालों को कभी निराश नहीं करते। तिल का तेल चढ़ाकर, चरणों में शीश झुकाकर और काले वस्त्र धारण कर भक्त शनि देव की आराधना करते हैं, और जब उनकी कृपा हो जाती है तो जीवन की नैया पार हो जाती है। यह भजन न केवल एक स्तुति है बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव भी है जो भक्त के हृदय को छू जाता है।
इस भावपूर्ण भजन की लेखनी में एक विशेष आकर्षण है, जो इसे और भी प्रभावशाली बनाती है। भजनकार ने सरल भाषा में, लेकिन गहरी श्रद्धा के साथ शनि देव की स्तुति करते हुए यह स्पष्ट किया है कि सत्य, भक्ति और समर्पण के मार्ग पर चलने वाला भक्त कभी अकेला नहीं होता — शनि देव सदैव उसके रक्षक होते हैं।