Main To Tirth Karne Aai Bahubali Ke Charno Me Aai

मैं तो तीरथ करने आई



मैं तो तीरथ करने आई बाहुबली के चरणों में आई,

मेरा बेड़ा लगा दो पार प्रभु जी आई हूं तेरे द्वार,

आई है गुड़िया दर के लायी है लुटिया भर के,
मैं भी नभन करा लूँ प्रभु जी,
मैं तो दूर से चलके आई तेरे दर्शन करने आई,
मेरा बेड़ा लगा दो पार प्रभु जी आई हूं तेरे द्वार
मैं तो तीरथ करने आई बाहुबली चरणों में आई।।

मैं दुनियाँ छोड़ के आई मैं पिंजरा तोड़ के आई,
तुम्हीं हो तारण हारी प्रभु जी,
मैं तो अभिषेक करवाऊं पापी कर्मों को छुड़ाउ,
मेरा बेड़ा लगा दो पार प्रभु जी आई हूं तेरे द्वार
मैं तो तीरथ करने आई बाहुबली चरणों में आई



श्रेणी : जैन भजन



Best Jain Song ❤️ मैं तो तीरथ करने आई ❤️ Jain Bhajan | Bahubali Bhagwan bhajan

यह भजन “मैं तो तीरथ करने आई” एक अत्यंत भावनात्मक और आत्मा को छू लेने वाली जैन भक्ति रचना है, जिसमें एक सच्चे श्रद्धालु की भावनाओं और आस्था का सुंदर चित्रण किया गया है। यह भजन विशेष रूप से भगवान बाहुबली के चरणों में समर्पित है, जो त्याग, तपस्या और आत्मशुद्धि के प्रतीक माने जाते हैं।

भजन की शुरुआत होती है—
“मैं तो तीरथ करने आई, बाहुबली के चरणों में आई”—यह पंक्ति दर्शाती है कि भजन गायिका/गायक प्रभु के दर्शन और पावन तीर्थ की यात्रा के उद्देश्य से आई है। इसमें केवल शारीरिक यात्रा नहीं, बल्कि एक आत्मिक यात्रा का भी वर्णन है, जहाँ व्यक्ति अपने पापों से मुक्ति की आशा लिए प्रभु के द्वार आता है।

भजन में “मेरा बेड़ा लगा दो पार प्रभु जी” जैसी पंक्तियाँ भक्त के पूर्ण समर्पण और भक्ति की गहराई को दर्शाती हैं। यह केवल एक गुहार नहीं, बल्कि आत्मा की पुकार है, जो बाहुबली प्रभु से उद्धार की याचना करती है।

“मैं दुनियाँ छोड़ के आई, मैं पिंजरा तोड़ के आई”—यह पंक्तियाँ दर्शाती हैं कि भक्त ने संसारिक बंधनों को त्याग दिया है और अब वह केवल मोक्ष की राह पर चलना चाहती है। यह आत्मा की स्वतंत्रता और शुद्धता की ओर एक कदम है।

भजन में “अभिषेक करवाऊं, पापी कर्मों को छुड़ाऊं” जैसी भावनाएँ यह दर्शाती हैं कि भक्त केवल दर्शन के लिए नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और कर्म बंधनों से मुक्त होने के उद्देश्य से आई है।

इस भजन को एक भावपूर्ण जैन भक्ति गीत के रूप में देखा जा सकता है, जो किसी साधारण तीरथ यात्रा का नहीं, बल्कि आत्मिक जागरण और मोक्ष प्राप्ति की गहराई को दर्शाता है।

भक्ति भाव से सराबोर यह रचना जैन धर्म के सिद्धांतों जैसे—त्याग, आत्मशुद्धि, संयम और मोक्ष—को जीवंत करती है। यह भजन खासकर उन भक्तों के लिए प्रेरणास्रोत है जो बाहुबली भगवान की तपस्या और महानता को समझते हैं और उनसे प्रेरणा लेकर अपनी आत्मा को शुद्ध करने की ओर अग्रसर होते हैं।

Harshit Jain

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