है बलकारी और भ्रमचारी सालासर का बजरंगी - Hai Balkaari Aur Bhramchari

है बलकारी और भ्रमचारी सालासर का बजरंगी



है बलकारी और भ्रमचारी अवतारी जो नाथ भुजंगी है..

कोई और नही है वो मेरा...सालासर का बजरंगी है॥

संकटहर्ता मंगलकर्ता आ....
बजरंबलि का इतिहास जगत में सबसे न्यारा है,नही कोई हिंसा बाली ये दावा हमारा है । रूप भोले का और सेवक बना है श्री राम का, राजपाल बार-बार इनको परिणाम हमारा है ॥
ये बल बुद्धि का दाता है, ये बल बुद्धि का दाता है।
"सिया राम ही राम रटें हरदम"..ये भक्त बड़ा सत्संगी है
कोई और नही है वो मेरा सालासर का बजरंगी है

योद्धावि जगत मे है ये बिकट आ....
डुस्टों को मारे उलट पलट, डुस्टों को मारे उलट पलट।
किस्मत को देता है पलट..दुःख दूर करे सब चंगी है
कोई और नही है वो मेरा अंजनी का लाल बजरंगी है॥

रावण का दूर गरूर किया आ.....
जो समझे था इनको बंदर, जो समझे था इनको बंदर।
"और सभा के अंदर रावण ने" ये मान लिया ये चंगी है
कोई और नही है वो मेरा रुद्रावतारी बजरंगी है।।

बजरंगबाला अंजनी लाला आ....
तू ही मेंहदीपुर वाला है, तू ही मेंहदीपुर वाला है।
"तेरे राजपाल को पंचमुखी" तेरी लगती मूरत चंगी है
है बलकारी और भ्रमचारी अवतारी जो नाथ भुजंगी है..
कोई और नही है वो मेरा... सालासर का बजरंगी है!



श्रेणी : सालासर भजन



है बलकारी और भ्रमचारी सालासर का बजरंगी - Hai Balkaari Aur Bhramchari

यह भजन “है बलकारी और भ्रमचारी सालासर का बजरंगी” एक अत्यंत भावपूर्ण और शक्ति से भरपूर रचना है, जो हनुमान जी के सालासर रूप की महिमा का गान करती है। इसमें भक्ति, शक्ति, और विनम्रता का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। यह भजन विशेष रूप से उन भक्तों के लिए है जो सालासर धाम के बजरंगबली को अपना आराध्य मानते हैं और उनके चमत्कारों में अटूट श्रद्धा रखते हैं।

भजन की शुरुआत “है बलकारी और भ्रमचारी सालासर का बजरंगी” से होती है, जो यह स्पष्ट करता है कि यह कोई साधारण वंदना नहीं बल्कि एक विशिष्ट रूप – सालासर के वीर हनुमान जी – को समर्पित स्तुति है। इसमें यह दर्शाया गया है कि वह केवल बलशाली नहीं, बल्कि ब्रह्मचारी भी हैं, और उनका अवतार स्वयं रुद्र रूप है।

भजन में यह भाव भी उभरता है कि हनुमान जी की भक्ति, राम के चरणों में उनकी सेवा और उनका निस्वार्थ समर्पण कितना पवित्र और प्रेरणादायक है। “ये बल बुद्धि का दाता है” पंक्ति यह जताती है कि बजरंगबली न केवल संकटों का नाश करते हैं बल्कि अपने भक्तों को बल और बुद्धि दोनों प्रदान करते हैं।

यह भजन रचने वाले राजपाल जी ने अत्यंत सुंदर शैली में शब्दों को पिरोया है, जिसमें भक्तिरस, वीर रस और भावनात्मक अभिव्यक्ति का सुंदर समन्वय देखने को मिलता है। उन्होंने यह दिखाया है कि कैसे हनुमान जी हर कठिनाई से उबारने वाले हैं, चाहे रावण का अहंकार हो या हमारे जीवन की परेशानियाँ।

“तेरे राजपाल को पंचमुखी तेरी लगती मूरत चंगी है” जैसी पंक्तियाँ लेखक की व्यक्तिगत आस्था और अनुभव को दर्शाती हैं। यह भजन सिर्फ एक गीत नहीं बल्कि एक जीवंत श्रद्धा का परिचायक है, जिसमें सालासर बालाजी की कृपा का गान किया गया है।

कुल मिलाकर, यह भजन भक्तों के लिए न केवल एक भक्ति गीत है बल्कि हनुमान जी की शक्ति, दया, सेवा और संकल्प का जीवंत चित्रण भी है, जो हर हनुमान भक्त को भावविभोर कर देता है।

Harshit Jain

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