तेरी बजती मुरलिया सुन कर
तेरी बजती मुरलिया सुन कर के नाचन चली आई ओ सांवरे,
जब आयो गर्मी का महीना तन से टपके टप टप पसीना,
तेरा मोरनी पंखा देख के नाचन चली आई ओ सांवरे,
तेरी बजती मुरलिया...
नागिन बन कर डसी बांसुरियां,
तेरी प्रीत में भई रे वनवारियाँ,
कजरारे नैना देख के नाचन चली आई ओ सांवरे,
तेरी बजती मुरलिया........
सांवरियां मत और सताओ,
अब हम को तुम अपना बनाया,
तेरी वनवारी सूरत देख के नाचन चली आई ओ सांवरे,
तेरी बजती मुरलिया............
बरसाने की मैं हु गुजारियाँ,
चरण कमल में बीते उमारियाँ,
तेरी लट गुंगराली देख के नाचन चली आई ओ सांवरे,
तेरी बजती मुरलिया,
श्रेणी : कृष्ण भजन
तेरी बजती मुरलिया | Teri Bajati Muraliya | Sunita Panchal | Popular Krishan Bhajan | Bhajan Kirtan
यह भजन "तेरी बजती मुरलिया सुन कर के नाचन चली आई ओ सांवरे" भगवान श्रीकृष्ण की मुरली की मधुर तान और उनके मोहक सौंदर्य पर आधारित एक अत्यंत भावनात्मक और रसपूर्ण रचना है। इस भजन में एक गोपी की भावनाओं को अत्यंत सुंदरता से अभिव्यक्त किया गया है, जो कृष्ण की बांसुरी की धुन सुनते ही अपनी सुध-बुध खो बैठती है और नृत्य करते हुए उनकी ओर खिंची चली आती है।
भजन की पंक्तियाँ यह दर्शाती हैं कि जैसे ही गर्मी के मौसम में तन से पसीना टपकता है, गोपी को श्रीकृष्ण का मोरपंख वाला पंखा दिखाई देता है और वह उस शीतल अनुभव के लिए उनकी ओर दौड़ी चली आती है। मुरली की तान ऐसी है जैसे किसी नागिन ने डस लिया हो—मन को विचलित कर देने वाली, मोहिनी और सम्मोहक। कृष्ण की कजरारी आँखें, घुंघराली लटें और वनवासी स्वरूप एक आध्यात्मिक आकर्षण बन जाते हैं।
यह भजन न केवल श्रीकृष्ण की प्रेम-लीलाओं का मधुर चित्रण करता है, बल्कि एक भक्त की उस तड़प को भी दर्शाता है जो अपने आराध्य के दर्शन हेतु आतुर है। शब्दों में लोकगीतों की सादगी और गहराई है, वहीं भावों में अनन्य भक्ति और समर्पण की छवि झलकती है। इस रचना को प्रसिद्ध भजन गायिका सुनीता पंचाल ने अपनी स्वर माधुरी से और भी मनमोहक बना दिया है, जिससे यह भजन कीर्तन एवं कृष्ण भक्ति सभाओं में विशेष रूप से लोकप्रिय हो गया है।
यह रचना हर कृष्ण प्रेमी के हृदय को छूने वाली है, जो उनकी मुरली की तान में खोकर नृत्य करने को विवश हो उठता है।