पकड़ो मेरा हाथ चना साथ साथ
पकड़ो मेरा हाथ चना साथ साथ,
ओ मेरे दीनानाथ बनके तू हमसफ़र,
तुमसे अगर हो जिसका खिवैया,
डूबेगी कैसे जीवन की नैय्या,
करते करामात चलना साथ साथ,
ओ मेरे दीनानाथ बनके तू हमसफ़र,
खुद को मैं सौंपा तुझको मुरारी,
तुझपे है मेरी श्याम ज़िम्मेदारी,
सुनले मेरी बात चलना साथ साथ,
ओ मेरे दीनानाथ बनके तू हमसफ़र,
सुख दुःख में हर पल साथ निभाना,
बदले ज़माना बदल तुम ना जाना,
कुंदन के हो नाथ चलना साथ साथ,
ओ मेरे दीनानाथ बनके तू हमसफ़र,
श्रेणी : खाटू श्याम भजन
श्याम भजन - चलना साथ बनके तुम हमसफ़र | Humsafar | Lyrical श्याम भजन | Gouri Agarwal
पकड़ो मेरा हाथ चना साथ साथ" एक अत्यंत भावपूर्ण और भक्तिभाव से ओतप्रोत खाटू श्याम भजन है, जिसमें एक भक्त अपने आराध्य श्याम बाबा से जीवन भर साथ निभाने की विनती करता है। यह भजन मन की गहराइयों से निकली उस पुकार को दर्शाता है जिसमें भक्त प्रभु को हमसफ़र मानकर जीवन की हर डगर पर उनका साथ चाहता है।
भजन की पहली पंक्तियाँ ही सीधे हृदय को छू जाती हैं — "पकड़ो मेरा हाथ चना साथ साथ, ओ मेरे दीनानाथ बनके तू हमसफ़र", जिसमें भक्त अपनी हर सांस, हर कदम पर प्रभु की संगति की प्रार्थना करता है। इसमें यह भाव झलकता है कि यदि श्याम जीवन-नैया के खेवनहार बन जाएँ, तो कोई भी संकट, कोई भी तूफान जीवन को डुबो नहीं सकता।
इस रचना में भक्त कुंदन अपने आराध्य मुरारी/श्याम को अपनी जिम्मेदारी सौंपता है और कहता है कि जब संसार बदल जाए, तब भी तुम न बदलना। यह एक सच्चे और समर्पित भक्ति के स्वरूप को दर्शाता है, जिसमें पूरी निष्ठा से प्रभु पर भरोसा है।
इस भजन को सुन्दर तरीके से स्वर और शब्दों में ढालकर प्रस्तुत किया गया है, जिससे यह केवल सुनने वाला नहीं, बल्कि हृदय में उतर जाने वाला भजन बन जाता है। खाटू श्याम भक्ति की श्रेणी में यह भजन एक अमूल्य रत्न की तरह है, जो हर श्रद्धालु को प्रभु से एक आत्मिक संबंध जोड़ने की प्रेरणा देता है।
यह भजन "चलना साथ बनके तुम हमसफ़र" शीर्षक से भी जाना जाता है और इसके भावुक बोल तथा मधुर लय श्रोताओं को श्याम बाबा की कृपा में सराबोर कर देते हैं।