Ganpati Murat Bas Gai Jeh Man Paar Utar Gyo Soya

गणपती मूरत बस गई जेह मन पार उतर गयो



गणपती मूरत बस गई जेह मन पार उतर गयो सोय,
गणपती मूरत बस गई जेह मन पार उतर गयो सोय,
अपनी धुन में होय रहत फिर चाहे जो भी हो,
गणपती मूरत बस गई जेह मन पार उतर गयो सोय।

ऐसा नही है जग में,
ऐसा नही है जग में जैसा कष्ट विनाशन है ये,
मंगल दाता शुभगण कानन रूप गजानन है ये,
ज्ञानी ध्यानी अंतर्यामी जाने ये कोय,
गणपती मूरत बस गई जेह मन पार उतर गयो सोय।

सेवा करे जो इसकी,
सेवा करे जो इसकी पा लेता है मुक्ति धाम,
आज नही तो कल हो जाये जग में उसका नाम,
इसके चरणामृत के जल से अपने मन को धोय,
गणपती मूरत बस गई जेह मन पार उतर गयो सोय।

पूजा करे सब इसकी,
पूजा करे सब इसकी गाये गीत नये राहो में,
जब जब आये गणपती उत्सव धूम मचे राहो में,
मन की इच्छा कर दे पूरी जाये ना खाली कोय,
गणपती मूरत बस गई जेह मन पार उतर गयो सोय,
गणपती मूरत बस गई जेह मन पार उतर गयो सोय....



श्रेणी : गणेश भजन



गणपती मूरत बस गई जेह मन पार उतर गयो सोय - Ganpati Murat Bas Gai Jeh Man Paar Utar Gyo Soya

गणपती मूरत बस गई जेह मन पार उतर गयो सोय" एक अत्यंत भावनात्मक और श्रद्धा से परिपूर्ण गणेश भजन है, जिसमें भगवान श्रीगणेश की आराधना के माध्यम से आत्मा की मुक्ति और जीवन के कल्याण का संदेश दिया गया है। यह भजन उस दिव्य अनुभूति को व्यक्त करता है जहाँ भक्त के हृदय में गणपति बप्पा की छवि बस जाती है, और वही क्षण से उसका जीवन सार्थक हो जाता है।

इस भजन में बार-बार दोहराया गया मूल भाव — "गणपती मूरत बस गई जेह मन, पार उतर गयो सोय" — यह दर्शाता है कि जिस मन में गणेश जी की मूर्ति अर्थात उनकी छवि, उनकी भक्ति रच-बस जाती है, वह मन जीवन के समस्त भवसागर से पार उतर जाता है।

भजन की पंक्तियाँ गणेश जी को "कष्ट विनाशक", "मंगल दाता", "शुभ गणनायक", और "अंतर्यामी" के रूप में प्रस्तुत करती हैं। यह बताता है कि वे केवल विघ्नहर्ता ही नहीं, बल्कि आत्मज्ञान और मुक्ति के मार्ग के पथप्रदर्शक भी हैं।

भजन का मधुर प्रवाह यह भी सिखाता है कि गणेश सेवा, गणेश पूजा, और गणेश उत्सव केवल कर्मकांड नहीं, बल्कि आत्मा को शुद्ध करने की एक साधना है। गणपति के चरणामृत से मन को धोने की बात, उस आंतरिक पवित्रता का प्रतीक है जो सच्चे भक्ति से प्राप्त होती है।

यह रचना न केवल भक्तों को गणेश जी के प्रति समर्पित करती है, बल्कि यह भी बताती है कि गणेश पूजा में कितनी शक्ति है — जो मनुष्य का नाम स्वयं जगत में प्रसिद्ध कर सकती है, और उसकी इच्छाएँ पूर्ण कर सकती है।

Harshit Jain

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