आजा मेरे सांवरे तेरी राह तकु मैं
आजा आजा मेरे सांवरे तेरी राह तकू मै सांवरे,
मेरी हो गई नींद हराम आजा मेरे सांवरे...
माखन लाऊं तेरे खाने को,
रथ मंगवा दो तेरे आने को,
छतरी की करा दऊ छांव आजा मेरे सांवरे,
आजा आजा मेरे सांवरे....
बंसी लाई तेरे बजाने को,
सखियां लाई धुन सुनने को,
तोहै प्यार करूं मैं अपार आजा मेरे सांवरे,
आजा आजा मेरे सांवरे....
तेरा रूप सलोना मेरे दिल बसा,
तेरे मोर मुकुट सिर सज रहो,
मैं खड़ी निहारु तेरा रूप आजा मेरे सांवरे,
आजा आजा मेरे सांवरे....
यह झूठा सबका साथ है,
तेरा जन्म जन्म का साथ है,
मत छोड़ो मेरा हाथ कटारी मारू सांवरे,
आजा आजा मेरे सांवरे तेरी खड़ी निहारु बाट,
आजा मेरे सांवरे....
श्रेणी : कृष्ण भजन

यह भजन “आजा मेरे सांवरे तेरी राह तकु मैं” एक अत्यंत भावपूर्ण और भक्तिपूर्ण रचना है, जिसमें एक भक्त अपने प्रिय सांवरे (श्रीकृष्ण) के प्रति अपनी गहन भक्ति, प्रेम और प्रतीक्षा को शब्दों के माध्यम से प्रकट करता है। इस भजन में भक्त की तड़प और उसकी आंखों से बहते प्रेम के आंसू स्पष्ट झलकते हैं। हर एक पंक्ति में श्रीकृष्ण के प्रति समर्पण, प्रेम और उनका साक्षात दर्शन पाने की लालसा देखने को मिलती है।
भजन में भक्त कहता है कि वह अपने सांवरे की राह तकते-तकते उसकी नींदें हराम हो चुकी हैं, वह अपने ठाकुर के स्वागत के लिए माखन, बंसी, रथ और छतरी तक की तैयारी कर चुका है। यह रचना बताती है कि यह कोई साधारण इंतजार नहीं है — यह आत्मा का परमात्मा के लिए तड़पना है।
इस भजन में रचनाकार ने प्रेम और भक्ति को इतनी सुंदरता से पिरोया है कि हर भक्त इसका पाठ करते हुए स्वयं को वृंदावन की गलियों में सांवरे के सामने खड़ा महसूस करता है। रचनाकार का यह भाव अत्यंत सराहनीय है कि वह यह भी कहता है – “यह झूठा सबका साथ है, तेरा जन्म-जन्म का साथ है,” यानी केवल प्रभु का ही साथ सच्चा है, शेष सब संसारिक मोह-माया है।
यह भजन न केवल संगीतात्मक दृष्टि से मधुर है, बल्कि आत्मा को झकझोर देने वाला आध्यात्मिक अनुभव भी प्रदान करता है। ऐसा प्रतीत होता है कि इस रचना को किसी ऐसे भक्त ने लिखा है जो वास्तव में श्रीकृष्ण के प्रेम में पूर्णतः डूबा हुआ है और उसे पाने के लिए अपने हृदय के सभी भाव समर्पित कर रहा है।