एक मेरा श्याम अपना सारी दुनिया बेगानी है
एक मेरा श्याम अपना सारी दुनिया बेगानी है,
दुनिया वाले क्या जाने ये तो प्रीत पुरानी है....
एक मेरा दिल ही तो था जो श्याम जी ने लूट लिया,
दिल को चुराने की ये तो आदत पुरानी है,
एक मेरा श्याम अपना सारी दुनिया बेगानी है....
कोठे उत्ते काग बोले लोकी केंदे उड़ा देयो,
मैं केंदी रेहन दे ओ चिट्ठी श्याम जी आनी है,
एक मेरा श्याम अपना सारी दुनिया बेगानी है.....
अंखा विच छाई लाली लोकी केहनदे लाज भरा,
मै केंदि कोई गल नी ये तो श्याम की जुदाई है,
एक मेरा श्याम अपना सारी दुनिया बेगानी है....
दिल मेरा होया जख्मी लोकी केंदे वेद बुला,
मै बोली की होया ये तो श्याम की निशानी है,
एक मेरा श्याम अपना सारी दुनिया बेगानी है.....
श्रेणी : कृष्ण भजन

“एक मेरा श्याम अपना सारी दुनिया बेगानी है” — यह भजन श्रीकृष्ण प्रेम में डूबी एक सच्ची प्रेमिका की भावनाओं का अनमोल चित्रण है। इसमें प्रेमिका अपने ठाकुर, अपने श्याम से ऐसा संबंध जोड़ चुकी है जहाँ अब संसार की कोई भी चीज़ मायने नहीं रखती। उसका दिल, उसकी भावनाएँ, उसके शब्द — सब कुछ केवल श्याम के लिए समर्पित हो चुके हैं।
इस भजन की हर एक पंक्ति में भक्ति और विरह का मधुर संगम देखने को मिलता है। वह कहती है – “एक मेरा दिल ही तो था जो श्याम जी ने लूट लिया” – ये रचना न केवल एक आध्यात्मिक प्रेम को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि भगवान श्याम (कृष्ण) का प्रेम इतना गहरा होता है कि वह हृदय को पूरी तरह अपना बना लेते हैं। उनके प्रेम में खो जाना कोई नई बात नहीं, यह तो “आदत पुरानी है”।
भजन में पंजाबी लोक शैली का भी सुंदर समावेश है, जैसे “कोठे उत्ते काग बोले लोकी केंदे उड़ा देयो” — ये शब्द भजन को लोकगीत का स्पर्श देते हैं और उसकी सादगी को और प्रभावशाली बनाते हैं। जब समाज ताने देता है, तो भक्त यह कहता है कि “रेहन दे, ओ चिट्ठी श्याम जी आनी है” — यानी मेरी आस्था और प्रेम में विघ्न मत डालो, मुझे तो अपने प्रियतम से संदेश की प्रतीक्षा है।
यह भजन एक ओर श्याम के प्रति अटूट प्रेम को दर्शाता है, तो दूसरी ओर उस विरह की वेदना को भी, जो भक्त को भीतर तक झकझोर देती है। “अंखा विच छाई लाली” और “दिल मेरा होया जख्मी” जैसी पंक्तियाँ दर्शाती हैं कि प्रेम की पीड़ा को दुनिया नहीं समझ सकती, क्योंकि वह श्याम की दी हुई निशानी है।
यह भजन न केवल संगीतात्मक दृष्टि से मधुर है, बल्कि उसमें छुपी भावना, समर्पण और विरह का वर्णन इसे अत्यंत प्रभावशाली बनाता है। इसे पढ़ते या सुनते समय हर भक्त स्वयं को उसी प्रेम में डूबा महसूस करता है, जिस प्रेम में राधा, मीरा या अन्य गोपिकाएँ डूबी थीं।