घबराये दुखों से जब तू तेरा मन हो डाँवा-डोल
घबराये दुखों से जब तू, तेरा मन हो डाँवा-डोल
प्यारे हरि हरि बोल, प्यारे हरि हरिबोल ।
क्यों नजर बचा के सब से, दुष्कर्मो से खेल रहा है
कोई देखो या ना देखो तुझको, तू खुद देख रहा है
मन के तराजू में अपने तू सत्य झूठ को तोल ||1||
करता है तू पाप हजारों, पाप पुण्य पहचान
अंत समय पछतायेगा, जब तन में रहेंगे न प्राण
है अंधकार तेरे मन में-त मन की आँखे खोल ।।2।।
ध्यान लगा तू ईश्वर से, तेरा हो जाये उद्धार
हरि नाम की माला जप ले, हो जायेगा पार
नहीं हरि नाम का लगता, यहाँ प्यारे कोई मोल ।।3।।
श्रेणी : कृष्ण भजन

"घबराए दुखों से जब तू, तेरा मन हो डाँवा-डोल" एक अत्यंत प्रभावशाली और जाग्रत करने वाला कृष्ण भजन है, जो आत्मा को झकझोरने वाला संदेश देता है। यह भजन केवल एक स्तुति या आराधना नहीं है, बल्कि जीवन के उस सत्य को उजागर करता है जिसे अक्सर हम अनदेखा कर देते हैं — पाप-पुण्य का भेद, अपने कर्मों की जिम्मेदारी, और ईश्वर से जुड़ने का महत्व।
इस रचना में रचनाकार ने सरल शब्दों में जीवन की गहरी सच्चाइयों को बड़ी सहजता से प्रस्तुत किया है। जब मन दुखों से हिलने लगे, जब जीवन का संतुलन बिगड़ने लगे, तब यह भजन प्रेरित करता है कि केवल "हरि नाम" ही एकमात्र सहारा है। यह भजन एक प्रकार की आध्यात्मिक चेतावनी भी है कि संसार के छल-प्रपंच में फँसकर हम अपने वास्तविक उद्देश्य से दूर न हों।