राधा राधा बोलो नित राधा
राधा राधा गावो रस राधा राधा बोलो नित राधा।
रसिकनि राधा मोहनि राधा सोहनि राधा मेटत बाधा॥
पुलकनि राधा झलकनि राधा विहसनि राधा प्रेम आगाधा।
सरसनि राधा वरसनि राधा हरसनि राधा सब सुख साधा॥
विलसनि राधा वरदनि राधा विमुदनि राधा कृष्ण आराधा।
शरण सदा राधासर्वेश्वर राधा राधा रसदा राधा॥
श्रेणी : कृष्ण भजन

यह भजन "राधा राधा बोलो नित राधा" एक अत्यंत मधुर और हृदय को स्पर्श करने वाला कृष्ण भजन है, जो श्री राधा रानी की महिमा का रसपूर्ण वर्णन करता है। इस भजन में राधा नाम की महिमा को नित्य जपने और गाने की प्रेरणा दी गई है। भजन की प्रत्येक पंक्ति राधा रानी के सौंदर्य, गुण, और उनकी कृपा की अनुभूति कराती है। इसमें राधा को रसिकों की राधा, मोहिनी राधा, सोहनी राधा कहकर संबोधित किया गया है, जो भक्तों की सभी बाधाओं को दूर करती हैं। राधा की झलक, मुस्कान, प्रेम और कृपा से जीवन आनंदमय हो जाता है। यह भजन भक्तों को बताता है कि राधा रानी ही सर्वेश्वरी हैं, और उनकी शरण में जाने से ही समस्त दुखों का नाश और सुखों की प्राप्ति होती है। इस भजन को जिस भाव से लिखा गया है, वह अत्यंत सरस और भक्तिपूर्ण है, और इसे सुनते ही मन राधा-कृष्ण की भक्ति में रम जाता है। इसकी रचना जिस भी कवि या भक्त ने की है, उसने अपने हृदय से निकले भावों को शब्दों में पिरोया है, जो निश्चित ही हर भक्त के अंतर्मन को छू लेता है। यह भजन न केवल राधा रानी के प्रति भक्ति को जागृत करता है, बल्कि हमें उनकी शरण में जाकर अपने जीवन को सार्थक बनाने की प्रेरणा भी देता है।