जरा सोचले होगी तेरी हंसाई, Jara Sochle Hogi Teri Hasayi

जरा सोचले होगी तेरी हंसाई



जरा सोच ले होगी तेरी हँसाई,
अगर बात मेरी बाबा अब ना बनाई,
जरा सोच ले होगी तेरी हसाई.....

सुरसैन नरसी मीरा नहीं मैं कबीरा,
उठा नहीं सकता मोहन सुदामा सी पीड़ा,
नैया लगा दे किनारे - किनारे अब ना समाई,
जरा सोच ले होगी तेरी हसाई....

लिखा जाएगा कान्हा ये भी एक किस्सा,
मेरी हार मे भी होगा बराबर का हिस्सा,
मारेगी दुनिया ताने - ताने सुनलो कन्हाई,
जरा सोच ले होगी तेरी हसाई....

पूंछेगे दुनिया वाले कहा तेरा श्याम है,
गाता तू रहता हरदम जिसके तू नाम है,
कहा गई 'घोटू' तेरे -तेरे खुदा की खुदाई,
जरा सोच ले होगी तेरी हसाई....



श्रेणी : कृष्ण भजन
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"जरा सोच ले होगी तेरी हँसाई" एक बेहद मार्मिक और हृदयस्पर्शी कृष्ण भजन है, जिसमें एक सच्चा भक्त अपने आराध्य श्रीकृष्ण से भावनात्मक संवाद करता है। यह भजन न केवल एक आध्यात्मिक विनती है, बल्कि उसमें छुपा दर्द, विश्वास, असमंजस और भरोसे की लड़ाई को भी अत्यंत प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करता है।

इस रचना में भक्त अपने मन की पीड़ा और भगवान से की गई उम्मीदों की टकराहट को खुलकर व्यक्त करता है। वह कहता है – “जरा सोच ले होगी तेरी हँसाई, अगर बात मेरी बाबा अब ना बनाई”, यह पंक्ति भगवान को उनके वादे की याद दिलाती है कि अगर इस बार भी तूने साथ ना दिया, तो मेरी भक्ति और तेरा नाम – दोनों मज़ाक बन जाएंगे।

भजन में सुरदास, नरसी, मीरा, और कबीर जैसे महान संतों का उल्लेख कर यह स्पष्ट किया गया है कि वह स्वयं उनके जैसा नहीं है, ना ही वह उतनी बड़ी पीड़ा सहने वाला है। उसका सीधा निवेदन है – "अब नैया को पार कर दे, क्योंकि अब डूबने की गुंजाइश नहीं बची।"

श्रीकृष्ण से भावुक संवाद तब और भी गहरा हो जाता है जब वह कहता है – "लिखा जाएगा कान्हा ये भी एक किस्सा, मेरी हार में भी होगा बराबर का हिस्सा" – यानी भक्त की हार केवल उसकी नहीं, बल्कि प्रभु की भी होगी। वह कहता है कि जब वह हार जाएगा तो दुनिया ताने मारेगी – तब कृष्ण का नाम भी सवालों के घेरे में आ जाएगा।

और अंत में जब वह कहता है – "पूंछेगे दुनिया वाले कहा तेरा श्याम है, गाता तू रहता हरदम जिसके तू नाम है", तो यह एक सच्चे भक्त का वह दर्द बन जाता है जो अपनी आस्था पर खड़ा है, पर अपने आराध्य से अपेक्षा करता है कि वो इस बार उसकी लाज रख लें।

यह भजन न सिर्फ एक भक्त की पुकार है, बल्कि कृष्ण और उनके प्रेमियों के उस अटूट रिश्ते का सजीव चित्रण है, जहाँ नाराज़गी में भी प्रेम छुपा होता है। इसे जिसने भी लिखा है, उसने अपनी आत्मा की पीड़ा और श्रद्धा को बड़ी सरलता और सच्चाई के साथ शब्दों में ढाला है।

Harshit Jain

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