मिली बड़े नसीबो से मेरे बाबा की सेवा, Mili Bade Nasibo Se Mere Baba Ki Sewa

मिली बड़े नसीबो से मेरे बाबा की सेवा



ये दुनिया अनोखी है, मुखड़ा पहने चेहरा,
मिली बड़े नसीबो से मेरे बाबा की सेवा,

जग में जहां भी निकाला मेने ठोकर ही खाई,
अंधा था बाबा मैं, लठिया कही ना पाई,
अंधे की लाठी बन बाबा मेरे संग बैठा,
मिली बड़े नसीबो से....

पागल था मैं तो रे इस जूठी दुनिया में,
खो गया था मैं तो रे इस भुलभुलैया में,
संभाल लेगी मुझको तेरे नाम की नैया,
मिली बड़े नसीबो से....

ये श्याम नाम का गुण मीरा ने भी गाया,
मिल गई उसे प्यारे तेरे नाम की छाया,
इस पंकज को भी गिरधर दे चरणों में डेरा,
मिली बड़े नसीबो से....

अब समझ गया पंकज ये दुनिया छलावा है,
यहां कुछ नही मेरा सब झूठा दिखावा है,
मुंह गाए अब बाबा तेरे नाम का टेरा,
मिली बड़े नसीबो से....



श्रेणी : कृष्ण भजन
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यह भजन "मिली बड़े नसीबो से मेरे बाबा की सेवा" एक अत्यंत भावपूर्ण और आध्यात्मिक रचना है, जो श्री श्याम बाबा की महिमा और भक्त के जीवन में उनकी उपस्थिति के महत्व को दर्शाता है। यह भजन न केवल भावनाओं से ओत-प्रोत है, बल्कि एक आत्मीय अनुभूति भी देता है कि किस प्रकार एक भटका हुआ जीव अपने बाबा की कृपा से जीवन का सच्चा मार्ग पा जाता है।

भजन की शुरुआत में यह बताया गया है कि यह दुनिया केवल दिखावे की है, यहां लोग मुखौटे पहनकर जीवन जीते हैं, लेकिन सौभाग्य से भक्त को अपने बाबा की सेवा करने का अवसर मिला है, जो वास्तव में दुर्लभ और पुण्य का फल होता है। यह एक ऐसे भक्त की व्यथा है जो जीवन की ठोकरों से थक गया था, जिसे कुछ भी दिखाई नहीं देता था, लेकिन श्याम बाबा ने उसकी लाठी बनकर उसे सहारा दिया और उसे अंधकार से प्रकाश की ओर ले गए।

इस भजन में लेखक की मन:स्थिति एक पागल व्यक्ति जैसी है जो इस झूठी दुनिया में भटक रहा था, लेकिन अब उसे यह विश्वास हो गया है कि बाबा का नाम ही उसकी नैया को पार लगाएगा। मीरा बाई जैसे भक्तों का उदाहरण देकर यह दर्शाया गया है कि श्याम नाम की महिमा सदा से अद्भुत रही है और जो भी इसके शरण में आया, उसे शांति और ठिकाना मिला।

लेखक "पंकज" अंत में यह स्वीकार करता है कि अब वह जान गया है कि यह संसार केवल एक छलावा है, यहां कुछ भी स्थायी नहीं है। अब उसने निश्चय कर लिया है कि वह अपने बाबा के नाम का ही गुणगान करेगा और उनके चरणों में ही अपना जीवन अर्पित करेगा।

इस भावपूर्ण भजन के माध्यम से लेखक पंकज ने न केवल अपनी आध्यात्मिक यात्रा को अभिव्यक्त किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि जब सब ओर से आशाएं टूट जाएं, तब शरण में जाने वाला भक्त श्याम बाबा की कृपा से जीवन में फिर से दिशा और शांति प्राप्त कर सकता है। यह भजन उन सभी के लिए प्रेरणास्रोत है जो जीवन में संघर्ष कर रहे हैं और आध्यात्मिक सहारा ढूंढ रहे हैं।

Harshit Jain

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