तुम ना सुनोगे कौन सुनेग
साथी हमारा कौन बनेगा,
तुम ना सुनोगे कौन सुनेगा,
तुम ना सुनोगे कौन सुनेगा.....
आ गया दर पे तेरे, सुनाई हो जाये,
जिंदगी से दुखो की, विदाई हो जाये...x2
एक नजर कृपा की डालो, मानुगा अहसान,
संकट हमारा कैसे टलेगा
तुम ना सुनोगे कौन सुनेगा.......
पानी हे सर से ऊपर, मुसीबत अड़ गयी हे,
आज हमको तुम्हारी, जरुरत पड़ गयी हे...x2
अपने हाथ से हाथ पकड़लो, मानुगा अहसान,
साथ हमारे कौन चलेगा,
तुम ना सुनोगे कौन सुनेगा........
तुम्हारे दर पे शायद, हमेशा धर्मी आते,
आज पापी आया हे, श्याम काहे घबराते...x2
हमने सुना हे तेरी नजर में, सब हे एक समान,
इसका पता तो आज चलेगा,
तुम ना सुनोगे कौन सुनेगा........
वो तेरे भकत होंगे, जिन्हे हे तुमने तारा,
बता ए मुरलीवाले, कौन सा तीर मारा...x2
भकत तुम्हारे भक्ति करते, लेते रहते नाम,
काम ती उनका करना पड़ेगा,
तुम ना सुनोगे कौन सुनेगा............
पाप की गठड़ी सर पर, लाढ कर में लाया,
बोझ कुछ हल्का कर दे, उठाने ना पाया...x2
फर्ज की रह बता संजू, हो जाये कल्याण,
इसमें तुम्हारा कुछ ना घटेगा,
तुम ना सुनोगे कौन सुनेगा............
श्रेणी : खाटु श्याम भजन
साथी हमारा कौन बनेगा | Saathi Hamara Kaun Banega | Upasana Mehta | Khatu Shyam Bhajan | Shyam Bhajan
"तुम ना सुनोगे कौन सुनेगा" एक भावनात्मक और गहरे विश्वास से भरा खाटू श्याम भजन है। इस भजन में भक्त अपने इष्ट देवता, खाटू श्याम जी से मदद की प्रार्थना कर रहे हैं, और पूरी निष्ठा के साथ अपना दर्द और संकट उनके दरबार में प्रस्तुत कर रहे हैं। इसमें एक भक्त की भावना यह है कि भगवान के दर पर पहुँचने से ही जीवन के सारे दुख समाप्त हो सकते हैं, और भगवान की कृपा से ही संकटों का समाधान हो सकता है।
भजन की शुरुआत में भक्त कहते हैं, "तुम ना सुनोगे कौन सुनेगा," यानी जब भगवान स्वयं सुनने के लिए तैयार नहीं होते, तो और कौन उनकी प्रार्थना सुन सकता है? यह भावनात्मक अपील भक्तों के दिलों की गहराई से निकलती है, जो अपने जीवन के मुश्किल समय में भगवान से मदद की याचना करते हैं। भक्त को यह विश्वास है कि अगर भगवान की कृपा प्राप्त हो गई, तो जीवन के दुखों की विदाई हो जाएगी।
भजन में यह भी बताया गया है कि जब मनुष्य का जीवन मुसीबतों से घिरा होता है और वह भगवान के पास आता है, तो भगवान उसे अपनी शरण में स्वीकार करते हैं। भक्त अपने संकटों को भगवान के चरणों में छोड़ने की प्रार्थना करता है, और यह उम्मीद करता है कि भगवान अपने दरबार में उन्हें स्वीकार करेंगे।
इसके बाद, भजन में भक्त यह कहते हैं कि वह अपने पापों के साथ शरण में आए हैं, और भगवान से प्रार्थना करते हैं कि वह उनकी मदद करें। इसमें भक्त यह महसूस करते हैं कि भगवान के पास सभी बराबर हैं, चाहे वह भक्त पापी हो या धर्मी। भक्ति के इस गहरे भाव को सामने रखते हुए, भजन में यह संदेश है कि भगवान का दरबार सभी के लिए खुले हैं, और वहां कोई भेदभाव नहीं होता।