फागुन मेला आया
चल चल चल तू खाटू की गली,
फिर से सजी है खाटू की नगरी,
हाथों में निशान लेके चले आओ ना,
आया है फिर मेला फागुन का भैया,
देगा दर्शन सबको अब सांवरिया,
चल चल चल तू खाटू की गली,
फिर से सजी है खाटू की नगरी........
थोड़ा वक्त निकालो छोड़ कर के,
घर का झमेला देखो आता नहीं है दोष दोष ये,
फागुन का मेला, आते दूर-दूर से,
जो भी दर्शन पाले,
तू करके बहाना चले आ जाना,
चल चल चल तू खाटू की गली,
फिर से सजी है खाटू की नगरी.......
है सर पे लिए क्यों फिरता,
तू पापों का बोझा पाप धोले,
आके श्याम कुंड में,
तुझे मिला है मौका ओ मूरख प्राणी,
मनाले शीश के दानी,
कहीं मौका ये छूट न जाए ना,
गली गली घूम ले ये पावन गली,
फिर से सजी है बाबा की नगरी,
हाथों में निशान लेके चले आओ ना,
आया है फिर मेला फागुन का भैया,
देगा दर्शन सबको अब सांवरिया,
चल चल चल तू खाटू की गली,
फिर से सजी है खाटू की नगरी.......
मत सोचे आ जाए इसके दर पर,
दिन अच्छे या बुरे है तेरे मेरे जैसे लाखों ही,
जो झट मे झड़े है यह देखा प्यार उसी को,
नजर में आ जाए जो,
तू नजरे इनसे चुराना ना,
वीना भी जाए अब शाम की गली,
फिर से सजी है बाबा की नगरी,
हाथों में निशान लेके चले आओ ना,
आया है फिर मेला फागुन का भैया,
देगा दर्शन सबको अब सांवरिया,
चल चल चल तू खाटू की गली,
फिर से सजी है खाटू की नगरी......
श्रेणी : खाटु श्याम भजन