हरिओम में ॐ समाया है
हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ
हरि ॐ में ॐ समाया है,
मेरा भोला नगर में आया है,
मेरा भोला नगर में आया है,
हरि ॐ में ॐ समाया है,
मेरा भोला नगर में आया है......
भोले की जटा में गंगा विराजे,
गंगा विराजे हा गंगा विराजे,
गंगा में ॐ समाया है,
मेरा भोला नगर में आया है,
हरि ॐ में ॐ समाया है,
मेरा भोला नगर में आया है......
भोले के माथे पे चंदा विराजे,
चंदा विराजे हा चंदा विराजे,
चंदा में ॐ समाया है,
मेरा भोला नगर में आया है,
हरि ॐ में ॐ समाया है,
मेरा भोला नगर में आया है......
भोले के गले में सर्प विराजे,
सर्प विराजे हा सर्प विराजे,
सर्पो में ॐ समाया है,
मेरा भोला नगर में आया है,
हरि ॐ में ॐ समाया है,
मेरा भोला नगर में आया है......
भोले के हाथो में डमरू विराजे,
डमरू विराजे हा डमरू विराजे,
डमरू में ॐ समाया है,
मेरा भोला नगर में आया है,
हरि ॐ में ॐ समाया है,
मेरा भोला नगर में आया है......
भोले के कमर में दुशाला विराजे,
दुशाला विराजे हा दुशाला विराजे,
मृगशाला में ॐ समाया है,
मेरा भोला नगर में आया है,
हरि ॐ में ॐ समाया है,
मेरा भोला नगर में आया है......
भोले के संग में गौरा विराजे,
गौरा विराजे हा गौरा विराजे,
गोदी में गणपत समाया है,
मेरा भोला नगर में आया है,
हरि ॐ में ॐ समाया है,
मेरा भोला नगर में आया है......
श्रेणी : शिव भजन
शिवरात्रि भजन | हरिओम में ॐ समाया है मेरा भोला नगर में आया है | Hari Om Mein Om Samaya Hai
शिव भजन : "हरिओम में ॐ समाया है, मेरा भोला नगर में आया है" एक अत्यंत ही मधुर, भक्तिभाव से परिपूर्ण और आत्मा को परमात्मा से जोड़ने वाला भजन है। यह भजन भगवान शिव की दिव्यता, सौम्यता और उनके विराट स्वरूप का सुंदर वर्णन करता है। इस भजन की खासियत यह है कि इसमें "ॐ" — जो कि ब्रह्मांड का मूल स्वर है — उसे हर एक तत्व में समाया हुआ बताया गया है, चाहे वह गंगा हो, चंद्रमा हो, सर्प हो या डमरू।
इस भजन को बड़ी श्रद्धा और भक्ति से लिखा गया है, और यह दर्शाता है कि भगवान भोलेनाथ केवल कण-कण में ही नहीं, बल्कि हर ध्वनि, हर गति, हर भाव में समाए हुए हैं। भजन की पंक्तियाँ जैसे कि – "भोले की जटा में गंगा विराजे, गंगा में ॐ समाया है" – यह भाव दर्शाती हैं कि शिव की प्रत्येक अंग में ब्रह्म की उपस्थिति है।
यह भजन न सिर्फ़ एक भक्ति गीत है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक अनुभव है, जो सुनने वाले को भक्ति में लीन कर देता है। इसे संभवतः किसी अनुभवी और शिवभक्त रचनाकार ने लिखा है, जिसने शिव तत्व की गहराई को आत्मसात किया है। शिवरात्रि जैसे पावन पर्व पर इस भजन का गायन विशेष फलदायी और भावविभोर कर देने वाला होता है।
शब्दों की सरलता, तुकबंदी की मधुरता और भावों की गंभीरता इसे एक कालजयी भजन बनाते हैं, जो हर शिवभक्त के हृदय को स्पर्श करता है और उसकी आत्मा को "ॐ" में विलीन कर देता है।